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- – कर्म का लेख कभी मिटता नहीं, चाहे कोई कितना भी चतुराई करे।
- – भाग्य के आगे किसी का उपाय नहीं चलता, कर्म का फल निश्चित होता है।
- – मन को धीरज रखना चाहिए और निराशा में नहीं डूबना चाहिए।
- – चाहे कोई राजा हो या भिखारी, सभी को जीवन में ठोकरें मिलती हैं।
- – कर्म की सच्चाई को समझना और स्वीकार करना आवश्यक है।

कोई लाख करे चतुरायी,
करम का लेख मिटे ना रे भाई,
जरा समझो इसकी सच्चाई रे,
करम का लेख मिटे ना रे भाई।।
इस दुनिया में,
भाग्य के आगे,
चले ना किसी का उपाय,
कागद हो तो,
सब कोई बांचे,
करम ना बांचा जाए,
इस दिन इसी,
किस्मत के कारण,
वन को गए थे रघुराई रे,
करम का लेख मिटे ना रे भाई।।
काहे मनवा धीरज खोता,
काहे तू नाहक रोए,
अपना सोचा कभी ना होता,
भाग्य करे तो होए,
चाहे हो राजा चाहे भिखारी,
ठोकर सभी ने यहा खायी रे,
करम का लेख मिटे ना रे भाई।।
कोई लाख करे चतुरायी,
करम का लेख मिटे ना रे भाई,
जरा समझो इसकी सच्चाई रे,
करम का लेख मिटे ना रे भाई।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
