- – यह कविता एक रहस्यमय और दिव्य शक्ति का वर्णन करती है जो चारों दिशाओं में तेज़ी से फैलती है।
- – शिव जी की भुजाएं और उनकी जटाओं का वर्णन है, जो भागीरथी की ओर बढ़ रहे हैं।
- – प्रकृति की सुंदरता, जैसे लताएं, फूल, और नदियाँ, इस दिव्य माया के साथ जुड़ी हुई हैं।
- – कविता में शिव जी की महिमा और उनकी अद्भुत शक्तियों का चित्रण है, जो मन को आनंदित करती हैं।
- – यह रचना एक आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम प्रस्तुत करती है, जिसमें शिव जी की उपस्थिति केंद्रीय है।

कौन है वो कौन है वो,
कहाँ से वो आया,
चारों दिशाओ में तेज़ सा वो छाया,
उसकी भुजाएं बदले कथाएँ,
भागीरथी तेरी तरफ शिव जी चले,
देख जरा ये विचित्र माया।।
जटा कटाह संभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी,
विलोलवीचि वल्लरी विराजमान मूर्धनि,
धगद् धगद् धगज्ज्वलल् ललाट पट्ट पावके,
किशोर चन्द्र शेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम।
कौन है वो कौन है वो,
कहाँ से वो आया,
चारों दिशाओ में तेज़ सा वो छाया,
उसकी भुजाएं बदले कथाएँ,
भागीरथी तेरी तरफ शिव जी चले,
देख जरा ये विचित्र माया।।
धरा धरेन्द्र नंदिनी विलास बन्धु बन्धुरस्,
फुरद् ध्रुगन्त सन्तति प्रमोद मान मान से,
कृपा कटाक्ष धारणी निरुद्ध दुर्धरापदि,
क्वचिद् दिगम्बरे मनो विनोदमेदु वस्तुनि।
लता भुजङ्ग पिङ्गलस् फुरत्फणा मणिप्रभा,
कदम्ब कुङ्कुमद्रवप् रलिप्तदिग्व धूमुखे,
मदान्ध सिन्धुरस् फुरत् त्वगुत्तरीयमे दुरे,
मनो विनोद मद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि।
कौन है वो कौन है वो,
कहाँ से वो आया,
चारों दिशाओ में तेज़ सा वो छाया,
उसकी भुजाएं बदले कथाएँ,
भागीरथी तेरी तरफ शिव जी चले,
देख जरा ये विचित्र माया।।
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