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- – यह गीत भगवान कृष्ण की सुंदरता और उनके प्रति प्रेम को दर्शाता है, जहाँ कृष्ण को “काले” और “श्याम प्यारे” के रूप में संबोधित किया गया है।
- – गीत में मटकी फोड़ने और दही खिंडाई जैसी ग्रामीण और पारंपरिक गतिविधियों का वर्णन है, जो कृष्ण लीला से जुड़ी हैं।
- – सखी और पनघट की लाज का उल्लेख कर सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ प्रस्तुत किया गया है।
- – गीत में नाव के फंसने और बुद्धि के भ्रम में पड़ने की बात कही गई है, जो जीवन की चुनौतियों और आध्यात्मिक उलझनों को दर्शाता है।
- – यह कीर्तन भक्तिमय भावनाओं से ओतप्रोत है और कृष्ण भक्ति की गहराई को प्रकट करता है।
- – गायक नरेंद्र कौशिक जी द्वारा प्रस्तुत यह गीत राकेश कुमार खरक जाटान (रोहतक) द्वारा प्रेषित है।

कृष्ण काले हो,
ठुआदे मन्नै मटकी,
श्याम प्यारे हो,
ठुआदे मन्नै मटकी।।
और सखी जल भर भर सटगी,
राख दिये हो लाज पनघट की,
श्याम प्यारे हो,
ठुआदे मन्नै मटकी।।
मटकी फोड़ी दही खिंडाई,
लागी लागी हो कमर में लचकी,
श्याम प्यारे हो,
ठुआदे मन्नै मटकी।।
बीच भवर में नाव पड़ी है,
लादे लादे हो नाव मेरी अटकी,
श्याम प्यारे हो,
ठुआदे मन्नै मटकी।।
इस कीर्तन ने पार लगादो,
बुद्धि मेरी हो भ्रम में अटकी,
श्याम प्यारे हो,
ठुआदे मन्नै मटकी।।
कृष्ण काले हो,
ठुआदे मन्नै मटकी,
श्याम प्यारे हो,
ठुआदे मन्नै मटकी।।
गायक – नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक – राकेश कुमार खरक जाटान(रोहतक)
9992976579
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