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- – जीवन एक सफर है और अंत में हमें इस दुनिया को छोड़कर जाना है।
- – शरीर और सांसारिक वस्तुओं पर गर्व करना व्यर्थ है क्योंकि अंत में सब छोड़ना पड़ता है।
- – गुरु और प्रभु के नाम का सुमिरन करना आवश्यक है, जिससे मन को शांति और ज्ञान प्राप्त हो।
- – मोह-ममता में फंसने से बचना चाहिए और आध्यात्मिक ज्ञान को अपनाना चाहिए।
- – मृत्यु निश्चित है और वह किसी को भी नहीं छोड़ती, इसलिए अभी से राम (ईश्वर) में लग जाना चाहिए।
- – अंत में कोई भी सांसारिक वस्तु हमारे साथ नहीं जाती, केवल हमारे कर्म और भक्ति का फल रहता है।

क्यूँ गुमान करे काया का मन मेरे,
एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है,
नाम गुरु का सुमिर मन मेरे बावरे,
एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है।
तर्ज़ – ज़िन्दगी का सफर है ये कैसा
तूने संसार को तो है चाहा मगर,
नाम प्रभु का है तूने तो ध्याया नही,
मोह ममता में तू तो फँसा ही रहा,
ज्ञान गुरु का हिरदय लगाया नही,
मौत नाचे तेरे सर पे ओ बावरे,
एक दिन छोड़…….
आयेगा जब बुलावा तेरा बावरे,
छोड़ के इस जहाँ को जाएगा तू,
साथ जाएगा ना एक तिनका कोई,
प्यारे रो रो बहुत पछताएगा तू,
आज से अभी से लग जा तू राम में,
एक दिन छोड़…….
क्यूँ गुमान करे काया का मन मेरे,
एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है,
नाम गुरु का सुमिर मन मेरे बावरे,
एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है।
भजन लेखक व् गायक
ताराचन्द खत्री -जयपुर
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
