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- – यह भजन जीवन के अनमोल अवसरों और अनुभवों की महत्ता को दर्शाता है, जो एक बार चले जाने पर फिर नहीं मिलते।
- – भजन में विभिन्न रूपकों के माध्यम से जीवन की अस्थिरता और समय की अनमोलता को बताया गया है।
- – मूर्खता, संघर्ष, और भक्ति के विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
- – भजन का संदेश है कि जीवन के हर पल का सही उपयोग करें, क्योंकि जो खो जाता है वह वापस नहीं आता।
- – यह रचना कालूराम जी सीरवी द्वारा लिखी गई है, जो भावपूर्ण और प्रेरणादायक है।

ले ले लावो मानखो,
फेर ना मीले रे,
फेर ना मिले रे भाया,
जोयो ना मिले रे ऐ है।।
अरे-आम ने छोड़े ने नुगरो,
बावलिये चढ़े रे,
जाड़ा नी जाणे बिछु रा,
साँप से लड़े रे ऐ है।।
अरे-केसर ने कस्तूरी नुगरो,
तेल में तले रे,
मूर्ख ने भाई माला दिनी,
जोवतो फिरे रे ऐ है।।
अरे-मोतियो रा आखा नुगरो,
घटी में दले रे,
भजना री वेला जाय वो,
भूतो सु लड़े रे ऐ है।।
अरे-सोनो केविजे सोलमो,
पीतल भेल करे रे,
बाबो डूंगर पुरीजी बोलिया,
भजना सु तीरे रे ऐ है।।
ले ले लावो मानखो,
फेर ना मीले रे,
फेर ना मिले रे भाया,
जोयो ना मिले रे ऐ है।।
– भजन प्रेषक –
कालूराम जी सीरवी
8123418305
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
