- – यह गीत भगवान श्री बांके बिहारी जी के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण व्यक्त करता है।
- – गीत में जीवन को पूरी तरह से बिहारी जी के नाम समर्पित करने की भावना प्रकट की गई है।
- – भावुकता और प्रेम से भरे शब्दों में भक्त अपनी जिंदगी को भगवान के चरणों में अर्पित करता है।
- – गीत में भगवान के प्रति दीवानगी और आशिकी की तुलना की गई है, जो भक्त की गहरी श्रद्धा दर्शाती है।
- – यह रचना करुणामयी और कृपामयी राधे के तर्ज पर आधारित है, जो आध्यात्मिकता और प्रेम का संगम है।
- – स्वर श्री चित्र विचित्र जी महराज द्वारा दिया गया है, जो गीत की भावनात्मक गहराई को बढ़ाता है।

लिख दी मैंने कर दी मैंने,
जिंदगी बिहारी जी के नाम,
लिख दी मैने कर दी मैंने,
जिंदगी बिहारी जी के नाम।।
तर्ज – करुणामयी कृपामयी राधे।
ऐ मेरे बांके बिहारी,
आप ही मेरी जिंदगी,
ऐसी कर दो अब कृपा,
करता रहूं तेरी बंदगी,
ये दीवानगी मेरी आशिकी,
ये दीवानगी मेरी आशिकी,
सब कुछ बिहारी जी के नाम,
लिख दि मैने कर दि मैंने,
जिंदगी बिहारी जी के नाम।।
तड़पे पल पल अब मिलन को,
प्यासी मेरी जिंदगी,
तेरे हाथों सौंप दी,
प्यारे मैंने ये जिंदगी,
धड़कन तड़पते दिल की ये,
धड़कन तड़पते दिल की ये,
अर्पण बिहारी जी के नाम,
लिख दि मैने कर दि मैंने,
जिंदगी बिहारी जी के नाम।।
जिंदगी को जिंदगी का,
आखरी अरमान है,
‘चित्र विचित्र’ की जिंदगी,
जिंदगी पे भी कुर्बान है,
पागल का पागल प्यार है,
पागल का पागल प्यार है,
बांके बिहारी जी के नाम,
लिख दि मैने कर दि मैंने,
जिंदगी बिहारी जी के नाम।।
लिख दी मैंने कर दी मैंने,
जिंदगी बिहारी जी के नाम,
लिख दी मैने कर दी मैंने,
जिंदगी बिहारी जी के नाम।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र जी महराज।
