- – फागुण का मेला फिर से आ गया है, जिसमें ढोल-ढपली की धुन पर सभी झूमकर नाचते-गाते हैं।
- – खाटू नगर में दुल्हन की तरह सज-धज कर सांवरिया का स्वागत किया जाता है।
- – मेले में खाटू की गलियों में घूमने और फागण की मस्ती में झूमने का आनंद लिया जाता है।
- – होली के रंग बाबा के संग खेलकर मन को आनंदित किया जाता है।
- – भक्तों के लिए यह मौका खास है, जहां सौ-सौ हाथों से खजाना लुटाया जाता है और माधव को भाया जाता है।
- – यह मेला भक्तों के लिए सौगात लेकर आता है, जिसमें सभी मिलकर उत्सव मनाते हैं।

लो फिर से आया है,
ये मेला फागुण का,
ढोल ढपली बजाओ,
सारे झूमो नाचो गाओ,
सौगात लाया है,
ये मेला फागुण का,
लो फिर सें आया है,
ये मेला फागुण का।।
दुल्हन बनेगी ये खाटू नगरिया,
सज धज बैठेगा अपना सांवरिया,
बाबा ने लगाया है,
ये मेला फागुण का,
लो फिर सें आया है,
ये मेला फागुण का।।
जाएंगे खाटू की गलियों में घुमने,
फागण के मेले की मस्ती में झुमने,
जादू सा छाया है,
ये मेला फागुण का,
लो फिर सें आया है,
ये मेला फागुण का।।
खेलेंगे होली हम बाबा के संग में,
रंग जाएँगे सब फागण के रंग में,
मन को लुभाया है,
ये मेला फागुण का,
लो फिर सें आया है,
ये मेला फागुण का।।
भक्तो ये मौका चुक ना जाना,
सौ सौ हाथों से लुटायेगा खजाना,
माधव को भाया है,
ये मेला फागुण का,
लो फिर सें आया है,
ये मेला फागुण का।।
लो फिर से आया है,
ये मेला फागुण का,
ढोल ढपली बजाओ,
सारे झूमो नाचो गाओ,
सौगात लाया है,
ये मेला फागुण का,
लो फिर सें आया है,
ये मेला फागुण का।।
गायक – गुलशन शर्मा।
