- – गीत में श्याम के प्रेम में पूरी तरह डूब जाने की भावना व्यक्त की गई है।
- – प्रेम के कारण जीवन में खुशी और दर्द दोनों का अनुभव होता है।
- – प्रेमी की तस्वीर और यादें दिल और होठों पर हमेशा बनी रहती हैं।
- – जुदाई और प्यार के ग़म को सहते हुए भी प्रेमी के प्रति लगाव बना रहता है।
- – प्रेम में हार मानकर भी दिल की धड़कन उसी के नाम रहती है।
- – घर-परिवार और जीवन की अन्य खुशियाँ प्रेम के सामने फीकी पड़ जाती हैं।
लुट गई लुट गई श्याम के प्यार में
अब ना लागे जिया, घर मे परीवार मे,
लुट गई लुट गई श्याम के प्यार में।।
दिल हुआ है उसी का दिवाना,
गुंजे होटो पे उसका तराना,
रहे आखो मे तस्वीर उसकी,
कहे पागल मुझे ये जमाना,
मे दिवानी दिवानी,
मे दिवानी फ़िरू बिच बाजार मे,
लुट गई लुट गई श्याम के प्यार में।।
तुमसे पहले भी मै जी रही थी,
दर्द के आंसू मे पी रही थी,
हे जुदाई का गम क्या बताऊ,
होट अपनो को मै सी रही थी,
अब आजा रे आजा,
अब आजा मोहन मै तो गई हार रे,
लुट गई लुट गई श्याम के प्यार में।।
दिल की धडकन मे वो ही बसा है,
रहे हरदम उसी का नशा है,
दिल लगा के दयानन्द देखो,
आया जिने का असली मजा है,
अब भावे ना भावे,
अब भावे न कुछ भी सन्सार मे,
लुट गई लुट गई श्याम के प्यार में।।
अब ना लागे जिया, घर मे परीवार मे,
लुट गई लुट गई श्याम के प्यार में।।