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माँ तेरे दरश का प्यासा हूँ तु दर्शन दे इक पल के लिये – Maa Tere Darsh Ka Pyasa Hoon Tu Darshan De Ik Pal Ke Liye – Hinduism FAQ

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  • – यह कविता माँ अम्बे के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण व्यक्त करती है, जहाँ कवि माँ के दर्शन की तीव्र इच्छा रखता है।
  • – कवि जीवन की सभी सांसारिक चीज़ें छोड़कर केवल माँ के चरणों में समर्पित होना चाहता है।
  • – माँ से ज्ञान, शक्ति और आशीर्वाद की प्रार्थना की गई है ताकि वह अपने भक्तों को सही मार्ग दिखा सकें।
  • – कविता में माँ को सर्वशक्तिमान और जगत की सेवा करने वाली शक्ति के रूप में पूजा गया है।
  • – भक्तों की भीड़ माँ के द्वार पर खड़ी है, जो माँ की कृपा और दर्शन की प्रतीक्षा कर रही है।

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माँ तेरे दरश का प्यासा हूँ,
तु दर्शन दे इक पल के लिये॥

तर्ज़-आवारा हवा का झोंका हूँ



माँ तेरे दरश का प्यासा हूँ,
तु दर्शन दे इक पल के लिये,

आया हूँ तेरे दर पे माँ,
सब छोड़ के जीवन भर के लिये॥॥

माँ ओ मेरी अम्बे माँ,
माँ ओ मेरी अम्बे माँ ॥



दौलत ना मिले शोहरत ना मिले,
मुझे मिल जाये तेरा दर्शन माँ,

ले आस मैं दर तेरे आया हूँ,
सब छोड़ के जीवन भर के लिये॥॥



तेरे दर पे जो भी आये,
पाये वो तुझसे नजराना,

बन जाये तेरा सेवक वो,
सब छोड़ के जीवन भर के लिये॥॥



मै अज्ञानी मातारानी,
मुझे ज्ञान क सागर दे जाना,

दो फुल मे चुनकर लाया हूँ,
सब छोड़ के जीवन भर के लिये॥॥



सेवक तेरा ये जग सारा,
शक्ति माँ अपनी दिखलाना,

सब भक्त खड़े तेरे द्वारे पे,
सब छोड़ के जीवन भर के लिये॥॥



माँ तेरे दरश का प्यासा हू,
तु दर्शन दे इक पल के लिये॥

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