- – यह गीत भगवान कृष्ण (कान्हा) के घर आने की इच्छा और भक्ति को दर्शाता है।
- – गीत में राधा और रुकमण के साथ सावरा (कृष्ण) के आगमन की बात कही गई है।
- – विभिन्न पौराणिक और भक्तिपरक पात्रों जैसे द्रौपदी, नेनी बाई, दुर्योधन, धना भगत, नामदेव, और मीरा के संदर्भ दिए गए हैं।
- – गीत में भक्ति, प्रेम और समर्पण की भावना प्रमुख है, जिसमें सावरा की प्रीत निभाने का उल्लेख है।
- – यह गीत पारंपरिक लोकगीत शैली में है और धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व रखता है।

सावरा मारे घरा भी आजे रे,
राधा रुकमण लेन सावरा,
बेगो आजे रे,
मारे घर आजो रे कान्हा,
मारे घर आजो रे कान्हा।।
द्ररोपति को चीर बढायो,
नेनी बाई रो भात भरायो,
कानजी भुल बिसर मत जाजे रे,
राधा रुकमण लेन सावरा,
बेगो आजे रे,
मारे घर आजो रे कान्हा,
मारे घर आजो रे कान्हा।।
दुर्योधन का मेवा त्यागा,
कर्मा रे घर खीचड़ खाया,
कानजी भुल बिसर मत जाज्ये रे,
राधा रुकमण लेन सावरा,
बेगो आजे रे,
मारे घर आजो रे कान्हा,
मारे घर आजो रे कान्हा।।
धना भगत रे खेत निपजायो,
नामदेव रो छपरो छायो,
सावरा मारी प्रीत निभाजे रे,
राधा रुकमण लेन सावरा,
बेगो आजे रे,
मारे घर आजो रे कान्हा,
मारे घर आजो रे कान्हा।।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर,
आवो मेरे नटवर नागर,
सावरा भगता रे घर आजो रे,
राधा रुकमण लेन सावरा,
बेगो आजे रे,
मारे घर आजो रे कान्हा,
मारे घर आजो रे कान्हा।।
सावरा मारे घरा भी आजे रे,
राधा रुकमण लेन सावरा,
बेगो आजे रे,
मारे घर आजो रे कान्हा,
मारे घर आजो रे कान्हा।।
माँ शारदा म्युजिकल्स भीलवाडा
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