- – महाकाल बाबा की पूजा और आरती क्षिप्रा नदी के किनारे सवेरे सवेरे की जाती है, जिसमें जल चढ़ाना प्रमुख है।
- – क्षिप्रा नदी के किनारे कई तीर्थस्थल हैं, जहां देवता भी स्नान करते हैं और भक्तों की भीड़ लगती है।
- – हरसिद्धि माँ की महिमा अत्यंत महान है, और यहाँ अखण्ड ज्योत निरंतर जलती रहती है।
- – गणपति जी की मूषक सवारी और रिद्धि-सिद्धि का साथ इस स्थान की धार्मिक महत्ता को दर्शाता है।
- – भक्तों को यहाँ आकर पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और वे खाली हाथ नहीं लौटते।
- – भस्मी का उपयोग आरती में होता है, जो इस धार्मिक अनुष्ठान को और भी पवित्र बनाता है।

महाकाल बाबा क्षिप्रा किनारे,
तुम्हे जल चढ़ाये सवेरे सवेरे,
इनकी आरती में जरा चल के देखो,
भस्मी रमाये सवेरे सवेरे।।
तर्ज – अरे द्वारपालों।
सभी तीर्थो में क्षिप्रा बड़ी है,
किनारे किनारे जमाते पड़ी है,
और देवता भी आते है नहाने,
जरा चल के देखो सवेरे सवेरे,
महांकाल बाबा क्षिप्रा किनारे,
तुम्हे जल चढ़ाये सवेरे सवेरे।।
हरसिद्धि माँ की महिमा निराली,
अखण्ड ज्योत जलती माँ की निराली,
जो भी यहाँ आता खाली नहीं जाता,
जरा चल के देखो सवेरे सवेरे,
महाकाल बाबा क्षिप्रा किनारे,
तुम्हे जल चढ़ाये सवेरे सवेरे।।
बड़े गणपति जी मूषक सवारी,
रिद्धि सिद्धि दोनों साथ है तुम्हारे,
लड्डूओ का भोग लगे तुमको प्यारा,
जरा चल के देखो सवेरे सवेरे,
महांकाल बाबा क्षिप्रा किनारे,
तुम्हे जल चढ़ाये सवेरे सवेरे।।
महाकाल बाबा क्षिप्रा किनारे,
तुम्हे जल चढ़ाये सवेरे सवेरे,
इनकी आरती में जरा चल के देखो,
भस्मी रमाये सवेरे सवेरे।।
