- – माई (माँ) की सेवा दिल से करने का संदेश इस गीत में प्रमुख रूप से दिया गया है।
- – माई के नाम का जाप और सुमिरन करने से दुख और संताप दूर होते हैं।
- – माई को दुख हरने वाली, सुख देने वाली और वरदान देने वाली बताया गया है।
- – गीत में नर्मदा नदी का बार-बार उल्लेख है, जो पवित्रता और जीवन का प्रतीक है।
- – माई के ध्यान और पूजा से सारा संसार गुणगान करता है और शीतलता का अनुभव होता है।
- – श्रद्धा और भक्ति के साथ माई की सेवा करने पर जीवन में सुख-शांति आती है।

माई की सेवा दिल से कर,
नर्मदे नर्मदे नर्मदे हर,
नर्मदे हर जीवन भर,
माईं की सेवा दिल से कर।।
जो भी दिल से जाप करे,
उसके दुख संताप हरे,
उसके दुख संताप हरे,
काहे को भटके तू दर दर,
नर्मदे हर जीवन भर,
माईं की सेवा दिल से कर।।
पावन है मैया का नाम,
जपले बन्दे सुबहो शाम,
जपले बन्दे सुबहो शाम,
श्रद्धा से तू सुमिरन कर,
नर्मदे हर जीवन भर,
माईं की सेवा दिल से कर।।
दुख हरनी सुखदाती माँ,
वरदायक वरदाति माँ,
वरदायक वरदाति माँ,
आये दुआरे शिव शंकर,
नर्मदे हर जीवन भर,
माईं की सेवा दिल से कर।।
दीप माई का ध्यान धरे,
सारा जग गुणगान करे,
सारा जग गुणगान करे,
शीतल धार बहे झर झर,
नर्मदे हर जीवन भर,
माईं की सेवा दिल से कर।।
माई की सेवा दिल से कर,
नर्मदे नर्मदे नर्मदे हर,
नर्मदे हर जीवन भर,
माईं की सेवा दिल से कर।।
गायक – अविनाश झनकार।
अपलोड – सुनील रैकवार।
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