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- – यह गीत भगवान श्री कृष्ण (साँवरे) के प्रति भक्तिपूर्ण समर्पण और प्रेम को दर्शाता है।
- – गीत में भक्त अपने जीवन की सारी दौलत और कर्ज़ को भगवान के चरणों की धूल मानता है।
- – भगवान ने कठिनाइयों में भी भक्त का साथ दिया और उसे निरंतर उपकार किया।
- – भक्त बार-बार भगवान के दरबार में आने और उनका प्यार पाने की इच्छा व्यक्त करता है।
- – गीत में भगवान को जीवन का आधार और संसार बताया गया है, जिनके बिना जीवन अधूरा है।
- – स्वर गिन्नी कौर जी का है, जो गीत की भावनाओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करती हैं।

मैं आता रहूं दरबार सांवरे,
मैं आता रहूं दरबार साँवरे,
मैं पाता रहूं तेरा प्यार सांवरे,
मैं आता रहूं दरबार साँवरे।।
तर्ज – पलकों का घर तैयार सांवरे।
मेरी सारी दौलत बाबा,
तेरे चरण की धूलि,
तूने उस पल याद रखा जब,
सारी दुनिया भूली,
करना यूँही उपकार सांवरे,
करना यूँही उपकार सांवरे,
मैं आता रहूं दरबार साँवरे।।
अपने बने पराए सारे,
तूने साथ निभाया,
धक्के खाए जग वालो से,
तूने हाथ फिराया,
यु ही फिराना हर बार सांवरे,
मैं आता रहूं दरबार साँवरे।।
सर से लेकर पाँव तलक तक,
तेरा कर्जा है बाबा,
सोच नहीं सकता था उससे,
दिया है तूने ज्यादा,
‘श्याम’ का तू ही संसार सांवरे,
मैं आता रहूं दरबार साँवरे।।
मैं आता रहूं दरबार सांवरे,
मैं आता रहूं दरबार साँवरे,
मैं पाता रहूं तेरा प्यार सांवरे,
मैं आता रहूं दरबार साँवरे।।
स्वर – गिन्नी कौर जी।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
