- – यह गीत गुरु की महत्ता और उनके प्रति श्रद्धा को व्यक्त करता है, जिसमें गुरु को परमेश्वर से भी बड़ा बताया गया है।
- – गुरु को माता-पिता से भी बड़ा सुखदाता और जीवन का मार्गदर्शक माना गया है, जो जीव को भवसागर से पार लगाते हैं।
- – गीत में गुरु की शरण में रहने और उनसे दया की प्रार्थना की गई है, क्योंकि गुरु ही जीवन के कष्टों का समाधान हैं।
- – गुरु के प्रति समर्पण और भक्ति को दर्शाते हुए, गीत में तन, मन और धन सब गुरु को अर्पित करने की भावना व्यक्त की गई है।
- – यह गीत भक्ति और गुरु भक्ति की भावना से ओतप्रोत है, जो गुरु के चरणों में शरण लेकर जीवन की सभी समस्याओं का समाधान चाहता है।

मै तो अर्ज करू गुरु थाने,
शरणा में राखो म्हाने।
श्लोक:- परमेश्वर से गुरु बड़े,
तुम देखो वेद पुराण,
सेख परिंदा यु कहे,
तो गुरू घर है भगवान।
मै तो अर्ज करू गुरु थाने,
शरणा में राखो म्हाने,
हेलो तख्त देवू की थाने,
म्हारी लाज शर्म सब थाने,
मै तो अर्ज करू गुरु थाने,
शरणा में राखो म्हाने।।
गुरु मात पिता सुख दाता,
सब स्वारथ का है नाता,
एक तारण तिरण गुरु दाता,
ज्यारा चार वेध्द जस गाता,
मै तो अरज करू गुरु थाने,
शरणा में राखो म्हाने।।
भवसागर भरियो भारो,
मने सुजत नही रे किनारो,
गुरु घट में दया विचारो,
मैं तो डूब रियो मजधारो,
मै तो अरज करू गुरु थाने,
शरणा में राखो म्हाने।।
कोई संत लियो अवतारो,
जीवो ने पार उतारो,
माने आयो भरोसो भारो,
नही छोड़ू शरणों थारो,
मै तो अरज करू गुरु थाने,
शरणा में राखो म्हाने।।
गुरु तन मन धन सब थारो,
चाहे सीस काट लो म्हारो,
जन दरियाराम राम पुकारो,
चरणा रो चाकर थारो,
मै तो अरज करू गुरु थाने,
शरणा में राखो म्हाने।।
मै तो अर्ज करू गुरु थाने,
शरणा में राखो म्हाने,
हेलो तख्त देवू की थाने,
म्हारी लाज शर्म सब थाने,
मै तो अर्ज करू गुरु थाने,
शरणा में राखो म्हाने।।
Singer : Mahendra Singh Panwar
“श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा प्रेषित”
सम्पर्क : +91 9096558244
