- – यह भजन बाबा के प्रति भक्ति और आस्था को दर्शाता है, जिसमें भक्त अपने जन्मों के बंधनों से मुक्ति की भीख माँग रहा है।
- – भजन में भक्त बाबा के दरबार में दुःख-दर्द सुनाने और उनके नाम का स्मरण करने की बात करता है।
- – भक्त बाबा के चरणों में शीश नवाकर उनकी सेवा करने और उनकी लीला का गुणगान करने की इच्छा प्रकट करता है।
- – भजन में खाटु के श्याम बिहारी से भौतिक वस्तुओं की नहीं, बल्कि आध्यात्मिक कृपा की भीख मांगी गई है।
- – भक्त बाबा से अपनी आत्मा की प्यास बुझाने और अमृत की बूंद देने की प्रार्थना करता है।
- – समग्र रूप से यह भजन श्रद्धा, समर्पण और आध्यात्मिक मुक्ति की कामना का प्रतीक है।

मैं भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार,
जनम जनम का,
काट के बंधन,
जनम जनम का,
काट के बंधन,
कर दो भव से पार,
मैं भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार।।
थारा नाम सुण्या जद आया,
थाने दुःख दर्द सुणाया,
सबकी खातिर खुल्यो है बाबा,
यो तेरो दरबार,
मै भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार,
जनम जनम का,
काट के बंधन,
कर दो भव से पार,
मैं भीख माँग रया हां,
ओ बाबा थारे द्वार।।
चरणा में शीश नवावा,
मै तो थारा ही गुण गाँवा,
करवा द्यो चरणन की सेवा,
करवा द्यो चरणन की सेवा,
ओ लीले असवार,
मै भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार,
जनम जनम का,
काट के बंधन,
कर दो भव से पार,
मैं भीख माँग रया हां,
ओ बाबा थारे द्वार।।
खाटु के श्याम बिहारी,
माँगा ना महल अटारी,
ओ खाली झोली आज फैलाई,
खाली झोली आज फैलाई,
दीजो कुछ भी डार,
मै भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार,
जनम जनम का,
काट के बंधन,
कर दो भव से पार,
मैं भीख माँग रया हां,
ओ बाबा थारे द्वार।।
नैनो की प्यास बुझा दो,
अमृत की बून्द पीला दो,
यो ‘लख्खा’ थारी महिमा गावे,
‘लख्खा’ थारी महिमा गावे,
सुण लो करुण पुकार,
मै भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार,
जनम जनम का,
काट के बंधन,
कर दो भव से पार,
मैं भीख माँग रया हां,
ओ बाबा थारे द्वार।।
