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- – गीत में एक भक्त बाबा से अपनी पीड़ा और दुःख साझा कर रहा है, जो उसकी नज़रों में आंसू लेकर खड़ा है।
- – भक्त बाबा से अपनी नाराज़गी और जीवन में आई कठिनाइयों का कारण जानना चाहता है।
- – वह बाबा से फिर से कृपा और आशीर्वाद की उम्मीद करता है, ताकि उसका जीवन पुनः खुशहाल हो सके।
- – तुलसी पत्ते को संजीवनी बूटी के रूप में देखा गया है, जो जीवन में नई ऊर्जा और खुशहाली ला सकता है।
- – गीत में भक्त की विनम्रता और श्रद्धा साफ झलकती है, जो बाबा की ओर बार-बार ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करता है।

मैं झोली पसारे खड़ा,
जरा देखो इधर बाबा,
मेरे नैनो में आंसू है,
जरा देखो इधर बाबा।।
तेरे होते क्यों दुःख पाऊँ,
क्यों दर दर की ठोकर खाऊँ,
मैं तो अब हुँ अब हारा,
जरा देखो इधर बाबा,
जरा देखो इधर बाबा।।
क्यों तू मुझसे रूठ गया है,
जीवन मेरा रुक सा गया है,
कुछ दे दो मुझे इशारा,
जरा देखो इधर बाबा।।
नजरे तुमसे हटती नही है,
नजरो से नजरे मिलती नही है,
क्यों तार से तार टुटा,
जरा देखो इधर बाबा।।
ज्यादा कुछ नहीं तुमसे मांगू,
पहली जैसी किरपा चाहूँ,
जरा तुलसी पत्ता हिला,
जरा देखो इधर बाबा।।
तुलसी पत्ता जो मिल जाएगा,
जीवन फिर से खिल जाएगा,
संजीवन बूटी मिला,
जरा देखो इधर बाबा।।
मैं झोली पसारे खड़ा,
जरा देखो इधर बाबा,
मेरे नैनो में आंसू है,
जरा देखो इधर बाबा।।
गायक – राजेश अटोलिया।
प्रेषक – हंसराज गुप्ता
9309048948
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