- – कविता में लेखक अपने पिता से विनम्रता और सादगी की शिक्षा मांगता है, न कि धन-दौलत या घमंड।
- – लेखक चाहता है कि उसे दुनिया की खुशियाँ मिलें, लेकिन गर्व और अहंकार से बचाया जाए।
- – वह दिल के घावों को सुखद अनुभवों से भरने और नफरत तथा बुराई से दूर रहने की प्रार्थना करता है।
- – कविता में ईश्वर की रहमत और साफ दिल की शर्त पर बल दिया गया है, जिससे जीवन में सच्चाई और शांति बनी रहे।
- – लेखक का संदेश है कि असली सफलता और खुशी विनम्रता, इज्जत और मन की शुद्धता में निहित है।

मैं मांगता तुमसे मेरे बाबा,
वो चीज मुझको जरुर देना,
मिले ज़माने की सारी खुशियां,
मगर ना मुझको गुरुर देना।
ना देना चाहे कुबेर का धन,
मगर सलीका सहूर देना,
उठा के सर जी सकूँ जहाँ में,
बस इतनी इज्जत जरुर देना।।
तर्ज – जिहाल-ए-मस्कीं मकुन बा-रंजिश।
बड़ी ना मांगू मैं चीज तुमसे,
है जितनी औकात मैं मांगता हूँ,
बड़ी ना मांगू मैं चीज तुमसे,
है जितनी औकात मैं मांगता हूँ,
जो घाव दुःख ने दिए है दिल में,
वो सुख की मरहम से बुर देना।।
ना बैर कोई ना कोई नफ़रत,
नजर ना आए कोई बुराई,
ना बैर कोई ना कोई नफ़रत,
नजर ना आए कोई बुराई,
हर एक दिल में तू दे दिखाई,
मेरी नजर को वो नूर देना।।
तुम्हारी रहमत सदा ही बरसे,
हज़ार सुख भोगूं इस जहाँ में,
तुम्हारी रहमत सदा ही बरसे,
हज़ार सुख भोगूं इस जहाँ में,
अमीर बनकर हँसु किसी पर,
मुझे ना इतना गुरुर देना।।
मिलेगी रहमत तुम्हे श्याम की,
मगर शर्त है की साफ़ दिल हो,
मिलेगी रहमत तुम्हे श्याम की,
मगर शर्त है की साफ़ दिल हो,
अगर ‘गजेसिंह’ हो खोट दिल में,
तो खोट का सर तू चूर देना।।
बड़ी ना मांगू मैं चीज तुमसे,
है जितनी औकात मैं मांगता हूँ,
बड़ी ना मांगू मैं चीज तुमसे,
है जितनी औकात मैं मांगता हूँ,
जो घाव दुःख ने दिए है दिल में,
वो सुख की मरहम से बुर देना।।
Singer : Ritesh Manocha
Suggested By : Ricky Phutela
