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- – यह कविता भगवान कृष्ण (सांवरिया) के प्रति भक्त की गहरी भक्ति और समर्पण को दर्शाती है।
- – कवि अपने जीवन में भगवान की लीला और कृपा से प्रभावित होकर उन्हें अपना आराध्य मानता है।
- – भगवान ने कवि के लिए कई अनगिनत उपकार किए हैं, जिनका ऋण कवि कभी चुकता नहीं कर सकता।
- – कवि अपने आपको भगवान के चरणों का पुजारी बताते हुए उनकी महिमा का गुणगान करता है।
- – कविता में भगवान की कृपा से जीवन में आए बदलाव और सम्मान को भी उजागर किया गया है।
- – यह भक्ति गीत श्रद्धा, प्रेम और आभार व्यक्त करने का माध्यम है।

मैं तो हूँ सांवरिया,
तेरे चरणों का पुजारी,
चरणों का पुजारी,
तेरे चरणों का पुजारी।।
तर्ज – सारी दुनिया प्यारी पर तू है।
जब से होश संभाला मैंने,
तुमको अपना माना,
तेरी लीला देख देख के,
ये दिल हुआ दीवाना,
मेरे मन को भाए,
तेरी सूरत जादुगारी,
चरणों का पुजारी,
तेरे चरणों का पुजारी।।
मेरे खातिर बाबा तूने,
क्या क्या नही किया है,
खुद मुझको भी पता नही है,
इतना मुझे दिया है,
कैसे चुकाऊ बोलो,
तेरा कर्जा सर पे भारी,
चरणों का पुजारी,
तेरे चरणों का पुजारी।।
लोग तेरा श्रृंगार सजाए,
तूने मुझे सजाया,
जहाँ जहाँ तू लेकर जाए,
मेरा मान बढ़ाया,
मालामाल हुआ है,
जो कल था एक भिखारी,
चरणों का पुजारी,
तेरे चरणों का पुजारी।।
मैं तो हूँ सांवरिया,
तेरे चरणों का पुजारी,
चरणों का पुजारी,
तेरे चरणों का पुजारी।।
स्वर – पुरुषोत्तम जी अग्रवाल।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
