- – यह भजन “मैया बही पूरब से आय” देवी रेवा की स्तुति में रचा गया है, जिसमें उन्हें कुंवारी और निर्मल बताया गया है।
- – भजन में बताया गया है कि नर-नारी संध्या में दीपदान करते हैं और भोलेनाथ तथा शनि देव वहां विराजमान होते हैं।
- – मैया के जल और थल को निर्मल बताया गया है, जहां भक्त स्नान कर खुशहाल होते हैं।
- – भजन में मैया के चारों दिशाओं में फैलने और भक्तों की खुशहाली का वर्णन है।
- – यह भजन कमलेश कुमार सोनी द्वारा गाया गया है और भजन डायरी पर उपलब्ध है।
मैया बही पूरब से आय,
कुंवारी हैं रेवा,
मैया कल कल करती आय,
कुंवारी हैं रेवा।।
नर नारी आते संध्या में,
दीप दान करते मैया का।
भोले नाथ बिराजे वहां पर,
शनि देव बैठे पेहरे पर,
शनि देव बैठे पेहरे पर,
रहे झंडा लहराये कि मैया मोरी,
रहे झंडा लहराये कुंवारी है रेवा,
मैया बही पुरब से आय,
कुंवारी हैं रेवा।।
कोउ चढ़ावे तोहे चुनरिया,
कोउ चढ़ावे फूल पंखुड़िया,
निर्मल है मैया का जल थल,
कर स्नान खुशी भये जन मन,
कोउ करे स्नान कि मैया मोरी,
कोउ करे स्नान कुंवारी है रेवा,
मैया बही पुरब से आय,
कुंवारी हैं रेवा।।
आर पार मैया को खेरो,
कर डिंडौरी नाम बखेरो,
पंच कोसी में शहर को घेरो,
दच्छिण दिशा करो है फेरो,
भक्त भये खुशहाल कि मैया मोरी,
भक्त भये खुशहाल कुंवारी है रेवा,
मैया बही पुरब से आय,
कुंवारी हैं रेवा।।
मैया बही पुरब से आय,
कुंवारी हैं रेवा,
मैया कल कल करती आय,
कुंवारी हैं रेवा।।
गायक – कमलेश कुमार सोनी
संपर्क – 9893803384
यह भजन भजन डायरी द्वारा जोड़ा गया है।
आप भी अपना भजन यहाँ जोड़ सकते है।
https://youtu.be/a0udMchjoKo
