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- – माँ के चरणों में पूरा संसार झुकता है और उनकी जय-जयकार तीनों लोकों में होती है।
- – सुख के समय में भले ही हम माँ से दूर रहें, पर दुःख में हम उनके द्वार आते हैं।
- – माँ ने रक्तबीज और शुम्भ-निशुम्भ जैसे दुष्टों का नाश किया और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाई।
- – जो भक्त श्रद्धा और भक्ति से माँ के सामने शीश झुकाते हैं, माँ उन्हें दुनिया का वैभव प्रदान करती हैं।
- – कवि अनुज सतेंद्र माँ की महिमा का बखान करते हुए उनकी अपरंपार महिमा का गुणगान करता है।

मैया के चरणों में,
झुकता है संसार,
तीनों लोक में होती,
माँ तेरी जय जयकार।।
तर्ज – सावन का महीना।
सुख में तो मैया तुझसे,
दूर रहा मैं,
धन पद यश के मद में,
चूर रहा मैं,
जब दुःख ने सताया,
तो आया तेरे द्वार,
तीनों लोक में होती,
माँ तेरी जय जयकार।।
रक्त बीज को मैया,
तुमने ही मारा,
शुम्भ निशुम्भ को मैया,
तूने ही संहारा,
निर्मल मन से करती,
माँ भक्तों पे उपकार,
तीनों लोक में होती,
माँ तेरी जय जयकार।।
भक्ति भाव से जो भी,
शीश झुका दे,
दुनिया का वैभव माँ तू,
उसपे लुटा दे,
‘अनुज सतेंद्र’ बखाने,
तेरी महिमा अपरम्पार,
तीनों लोक में होती,
माँ तेरी जय जयकार।।
मैया के चरणों में,
झुकता है संसार,
तीनों लोक में होती,
माँ तेरी जय जयकार।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
