- – यह गीत माँ शेरावाली की स्तुति और भक्ति में लिखा गया है, जिसमें उनकी महिमा और शक्ति का वर्णन है।
- – गीत में माँ से विनती की गई है कि वे अपने भक्तों की सुनें और उनकी रक्षा करें।
- – भक्त माँ के चरणों में शीश झुकाकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे सुख-शांति की कामना करते हैं।
- – माँ और बेटे के रिश्ते की तुलना दीपक और बाती से की गई है, जो विपदाओं को दूर करने वाला है।
- – गीत में माँ के प्रति प्रेम और भक्ति का भाव प्रकट होता है, जिसमें उनके लिए रंग-बिरंगे वस्त्र और भोग लगाए जाते हैं।
- – स्वर मुकेश बागड़ा जी का है, जो गीत को भावपूर्ण और भक्तिमय बनाता है।

मैया ओ शेरावाली,
ऊँचे पहाड़ा वाली,
विनती सुनो हमारी,
आए शरण तुम्हारी,
विनती सुनो हमारी,
आए शरण तुम्हारी।।
तर्ज – दिल में तुझे बिठा के।
तेरे पावन चरणों में माँ,
अपना शीश झुकाए,
तेरी महिमा गा गा कर माँ,
तुमको आज मनाए,
कब तेरा माँ दर्शन पाए,
सोया भाग जगाए,
भर दो माँ झोली खाली,
ऊँचे पहाड़ा वाली,
विनती सुनो हमारी,
आए शरण तुम्हारी,
विनती सुनो हमारी,
आए शरण तुम्हारी।।
कबसे तेरी चौखट पे माँ,
आस लगाए खड़े है,
तेरे दर्शन करने को माँ,
शरण तुम्हारी पड़े है,
अब तो आओ दर्श दिखाओ,
अब ना देर लगाओ,
जयकारा तेरा गाए,
मैया तुम्हे बुलाए,
ऊँचे पहाड़ा वाली,
विनती सुनो हमारी,
आए शरण तुम्हारी,
विनती सुनो हमारी,
आए शरण तुम्हारी।।
माँ बेटे का रिश्ता ऐसा,
दीपक बाती जैसा,
विपदा सारी मिटाए मैया,
दुःख चाहे हो कैसा,
जो भी ध्यावे दर्शन पावे,
सुख और आनंद पावे,
मंदिर तेरा सुहाना,
नित रोज हमको आना,
ऊँचे पहाड़ा वाली,
विनती सुनो हमारी,
आए शरण तुम्हारी,
विनती सुनो हमारी,
आए शरण तुम्हारी।।
चम चम करती चुनर तेरी,
रंग रंगीली लाए,
कंगन चूड़ी पहनाकर माँ,
कुमकुम मेहंदी लगाए,
मीठा मीठा भोग लगाए,
तुमको खूब मनाए,
अंगना सजाए मैया,
तुमको बुलाए मैया,
ऊँचे पहाड़ा वाली,
विनती सुनो हमारी,
आए शरण तुम्हारी,
विनती सुनो हमारी,
आए शरण तुम्हारी।।
मैया ओ शेरावाली,
ऊँचे पहाड़ा वाली,
विनती सुनो हमारी,
आए शरण तुम्हारी,
विनती सुनो हमारी,
आए शरण तुम्हारी।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।
