- – यह गीत एक पुरानी नाव और जीवन की अनजानी राहों की तुलना करता है, जो मुश्किलों और संघर्षों से भरी है।
- – गीत में बाबा (संभवतः भगवान या गुरु) से सहायता और सहारा मांगने की भावना प्रकट की गई है।
- – गीत में विश्वास, करुणा और सच्चाई की महत्ता को उजागर किया गया है, जो जीवन की कठिनाइयों में मार्गदर्शन करते हैं।
- – भक्तों की आशा और समर्पण बाबा के प्रति दिखाया गया है, जो नाव (जीवन) को सुरक्षित पार लगाने में मदद करते हैं।
- – गीत का स्वर संजय मित्तल जी ने दिया है, जो भावपूर्ण और श्रद्धापूर्ण प्रस्तुति को दर्शाता है।

मजधार में है नैया,
राहें अंजानी है,
मेरे बाबा सुन लो मेरी,
ये नाव पुरानी है,
मजधार में हैं नैया,
राहें अंजानी है।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा है।
मैं बिच भवर में हूँ,
मिलता ना किनारा है,
मेरी डूबती नैया का,
एक तू ही सहारा है,
मुझे आस किसी से नहीं,
तुझे आस बंधानी है,
मेरे बाबा सुन लो मेरी,
ये नाव पुरानी है,
मजधार में हैं नैया,
राहें अंजानी है।।
दुनिया ने बतलाया,
तुम माझी हो अच्छे,
जो सच्चा है उसके,
तुम साथी हो सच्चे,
क्यों देर लगाते हो,
क्या नाव डुबानी है,
मेरे बाबा सुन लो मेरी,
ये नाव पुरानी है,
मजधार में हैं नैया,
राहें अंजानी है।।
मुझसे जो चल पाती,
तुमको ना बुलाते हम,
विश्वास करो मेरा,
खुद पार लगाते हम,
बातो का वक्त नहीं,
करुणा दिखलानी है,
मेरे बाबा सुन लो मेरी,
ये नाव पुरानी है,
मजधार में हैं नैया,
राहें अंजानी है।।
दिनों के दीनानाथ,
सब तुमको कहते है,
तेरे सेवक देखो,
तेरे दम पर रहते है,
हरदम हम भक्तो की,
तुम्हे नाव चलानी है,
मेरे बाबा सुन लो मेरी,
ये नाव पुरानी है,
मजधार में हैं नैया,
राहें अंजानी है।।
मजधार में है नैया,
राहें अंजानी है,
मेरे बाबा सुन लो मेरी,
ये नाव पुरानी है,
मजधार में हैं नैया,
राहें अंजानी है।।
स्वर – संजय मित्तल जी।
