- – भजन में मन और हरि (भगवान) के नाम का जाप करने का महत्व बताया गया है, जिससे जीवन के भव सागर (जन्म-मरण के चक्र) से पार पाया जा सकता है।
- – ऊँचे महलों और अभिमान से बचने की सलाह दी गई है, क्योंकि यहाँ के रिश्ते स्थायी नहीं होते।
- – जीवन का असली उद्देश्य हरि भजन करना और अपने कर्मों को पूरा करना है, अन्यथा जीवन व्यर्थ चला जाएगा।
- – हरि भजन के बिना जीवन सफल नहीं हो सकता, इसलिए जागरूक होकर भक्ति मार्ग अपनाना आवश्यक है।
- – भजन लेखक शिवनारायण वर्मा ने सरल भाषा में आध्यात्मिक संदेश देकर मन को शांति और मोक्ष की ओर प्रेरित किया है।
मन नाम जपो हरि नाम जपो,
भव सागर से तर जाएँगे रे,
मन नाम जपो हरि नाम जपो।।
तर्ज – मत प्यार करो परदेसी से।
इन ऊँचे ऊँचे महलो का,
मत करना तू अभिमान कभी,
जिनको तू यहाँ अपना समझे रे,
जिनको तू यहाँ अपना समझे,
ये अपने यहीँ रह जाएँगे रे,
मन नाम जपो हरी नाम जपो,
भव सागर से तर जाएँगे रे,
मन नाम जपो हरि नाम जपो।।
हरि भजन ही असली मक़सद है,
सँसार मे अपने आने का,
मक़सद अपना पूरा करले रे,
मक़सद अपना पूरा करले,
वर्ना यूँ ही मर जाएँगे रे,
मन नाम जपो हरी नाम जपो,
भव सागर से तर जाएँगे रे,
मन नाम जपो हरि नाम जपो।।
जीवन को अपने करले सफल,
तू जाग भी जा अब तो प्यारे,
हरि भजन बिना नही कोई तरा,
फिर हम कैसे तर पाएँगे रे,
मन नाम जपो हरी नाम जपो,
भव सागर से तर जाएँगे रे,
मन नाम जपो हरि नाम जपो।।
मन नाम जपो हरि नाम जपो,
भव सागर से तर जाएँगे रे,
मन नाम जपो हरि नाम जपो।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
/7987402880
वीडियो अभी उपलब्ध नहीं।
