- – सतगुरु के बिना जीवन में कोई सहारा नहीं होता, विशेषकर अंत समय में।
- – जब कठिनाइयाँ और दुख आते हैं, तब परिवार और मित्र भी साथ नहीं देते।
- – धन, यश और सांसारिक वस्तुएं अंत में काम नहीं आतीं, मृत्यु के समय सब छोड़नी पड़ती हैं।
- – सतगुरु से मिलने पर ही बंधन मुक्त होते हैं और निर्भयता प्राप्त होती है।
- – सतगुरु की कृपा से ही दुख दूर होते हैं और आत्मा को शांति मिलती है।
- – भजन में सतगुरु की महिमा और उनके महत्व को बड़े भाव से व्यक्त किया गया है।
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई,
सतगुरु बिना कोन है तेरो,
अन्त समय रै मांही,
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई।।
जब महा कस्ट पड़ैगो तुझमे,
कोई आडौ नहीं आई,
मात पिता ञिया सुत बन्धु,
सब ही मुँउा छुपाई,
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई।।
धन जोवन और महल,
मालीया सब धर्या रह जाई,
जब यम राज लेवण ने आवै,
जूत खावतो जाई,
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई।।
राज तेज री चालै नी हेमायती,
देवोरी चालै नांई,
गुरु देख हटे दु:ख दुरी,
भाग जाय जमराई,
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई।।
गुरु मिलै तो बन्ध छुड़ावै,
निर्भय पद को पाई,
अचल राम तज सकल आसरा,
चरण कमल चितलाई,
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई।।
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई,
सत गुरुबिना कोन है तेरो,
अन्त समय रै मांही,
मन रे सतगुरु कर मेरा भाई।।
– भजन प्रेषक –
Lalgiri goswami
9636628815