- – यह भजन रामदेव जी के बाल्यकाल और उनके चमत्कारों का वर्णन करता है, जिसमें उन्होंने जादूई घोड़लियो (घोड़ा) मंगवाने की इच्छा जताई है।
- – माता-पिता रामदेव जी की समझदारी और अद्भुत शक्तियों को देखकर चिंतित हैं, लेकिन रामदेव जी के मन में संतोष और विश्वास बना रहता है।
- – दरजी ने रामदेव जी के लिए घोड़ा और कपड़े बनवाए, लेकिन बाद में उसे पकड़ लिया गया, पर रामदेव जी ने उसकी कष्टों को दूर किया।
- – दरजी ने रामदेव जी के अवतार होने की बात स्वीकार की और गांव में संतोष और श्रद्धा का माहौल बना।
- – भजन में रामदेव जी की भक्ति, चमत्कार और उनके प्रति श्रद्धा को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
- – गायक श्री गजेंद्र राव जी द्वारा प्रस्तुत यह भजन श्री सुरेश कुमार खोड़ा, झोटवाड़ा जयपुर द्वारा प्रेषित है।
म्हाने घोड़लियो मंगवा मारी मां,
महाने घोड़लियो मंगवा,
घोड़े चढ़ने घुमण जासा,
घोड़लियो मंगवा मारी मां।।
बाल पणा में रामदेव जी,
हट कीनो हट भारी,
कैसे हट कीनो यह बालक,
सोच रही मातारी,
कीकर ईनने मैं समझाऊं,
लाग रही मन में चिंता,
म्हाने घोड़लियों मंगवा मारी मां,
महाने घोड़लियो मंगवा।।
मीणा दे सुगना रे खातिर,
दर्जी ने बुलवायो,
रामदेवजी रे खातिर घोड़ो,
कपड़े रो बनवायो,
दर्जी मन में लालच कीनो,
भीतर बहुत भरया भरमा,
म्हाने घोड़लियों मंगवा मारी मां,
महाने घोड़लियो मंगवा।।
रंग रंगीलो नेनुओ घोडो,
बालक रे मन भायो,
लीनी हाथ लगाम बापजी,
मन ही मन मुस्कायो,
एड़ी लगाई घोड़लिये के,
रामदेव आकाश होया,
म्हाने घोड़लियों मंगवा मारी मां,
महाने घोड़लियो मंगवा।।
जादू रो घोड़लियो महारे,
दर्जी गढ़ने लायो,
मात-पिता मन में घबरायो,
दर्जी कैद करायो,
दर्जी विनती करबा लाग्यो,
रामदेव जी कष्ट हरया,
म्हाने घोड़लियों मंगवा मारी मां,
महाने घोड़लियो मंगवा।।
दर्जी ने परचो दिखलायो,
रामदेव अवतारी,
दास अशोक सुनावे थाने,
अरजी सुणज्यो हमारी,
हिवड़ा में संतोष विराजे,
गांव रुणिचे रा धनिया,
म्हाने घोड़लियों मंगवा मारी मां,
महाने घोड़लियो मंगवा।।
म्हाने घोड़लियो मंगवा मारी मां,
महाने घोड़लियो मंगवा,
घोड़े चढ़ने घुमण जासा,
घोड़लियो मंगवा मारी मां।।
गायक – श्री गजेंद्र राव जी।
– भजन प्रेषक –
श्री सुरेश कुमार खोड़ा,
झोटवाड़ा जयपुर।