- – यह भजन सतगुरु की कृपा और भजन के महत्व को दर्शाता है, जो मन को भ्रम से मुक्त कर जागरूकता और सच्चे भजन की ओर ले जाता है।
- – भजन के माध्यम से हृदय में उजियाला होता है और आत्मा को शांति एवं प्रेम की अनुभूति होती है।
- – गुरुजी की सेवा और सिमरण से मन के भ्रम दूर होते हैं और भक्त राम के भजन में मग्न हो जाता है।
- – भजन की ज्योति से आत्मा का मोती जागृत होता है और जीवन में आध्यात्मिक प्रकाश फैलता है।
- – यह भजन श्रद्धालुओं को सतगुरु की कृपा प्राप्ति और भक्ति मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

मारा सतगरू किरपा कीनी रे,
मने जड़ी रे भजन वाली दिनी,
सुतोड़ी सुरता जागी रेऐ,
वा जाग भजन मे लागी,
धनगरू जी कीरपा कीनी रेऐए,
माने जड़ी रे भजन वाली दिनी।।
मु तो भुल रे भरम मे फीरतो रेऐए,
गरू कीनो रे भजन सु ई भिड़तो,
मारा भाग रे पुर्बला जागा रेऐए,
चित रे शब्दो माय लागा हाआ,
मारा सतगरू कीरपा कीनी रे,
मने जड़ी रे भजन वाली दिनी।।
मि तो गरूजी री सेवना कीनी रे,
मने सिमरण कुची दिनी,
मारे खुल्या भरम रा ताला रेऐ,
हिरदा मे हुआ ऊजीयाला,
मारा सतगरू कीरपा कीनी रे,
मने जड़ी रे भजन वाली दिनी।।
मि तो शरणो गरू सा रो लीनो,
ऐऐ प्रेम रे प्यालो पिनो,
मारो राम रे भजन मे राजी रेऐ,
हरी रे राखेला तारी,
मारा सतगरू कीरपा कीनी रे,
मने जड़ी रे भजन वाली दिनी।।
ऐ जगमग जल रही ज्योती रेऐए,
हाआ निरख लीया रे निज मोती,
ऐऐ आदु राम रा हेला रेऐए,
भर रीयो भजन रा थेला,
मारा सतगरू कीरपा कीनी रे,
मने जड़ी रे भजन वाली दिनी।।
मारा सतगरू किरपा कीनी रे,
मने जड़ी रे भजन वाली दिनी,
सुतोड़ी सुरता जागी रेऐ,
वा जाग भजन मे लागी,
धनगरू जी कीरपा कीनी रेऐए,
माने जड़ी रे भजन वाली दिनी।।
गायक – जेतपुरीजी महाराज नोहरा,
प्रेषक – देव पुरोहित नाथोणी जेरण।
