- – यह गीत इन्दर देव की वर्षा से जुड़ी प्रार्थना और उत्सव का वर्णन करता है।
- – गीत में इन्दर राज से विनती की गई है कि वे इस संसार को वर्षा से भीगे।
- – मेवा और अमृत धार की वर्षा का उल्लेख मंदिर और गुम्बज पर होने वाली खुशहाली का प्रतीक है।
- – सावन के मौसम की मस्ती और झूले की झंझनाहट का चित्रण किया गया है।
- – छतर हजार लेकर इन्दर के दर्शन के लिए लोगों का एकत्रित होना दर्शाया गया है।
- – परिवार की खुशहाली और दादी के चरण छूने से आशीर्वाद प्राप्ति का भाव व्यक्त किया गया है।

अजी मत बरसो इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे,
या जग सेठाणी भीजे,
म्हारी राज राणी भीजे,
अजी मत बरसों इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे।।
गुम्बज पर मेवा बरसे,
मंदिर पर मेवा बरसे,
अजी पौढ़ी पर अमृत धार,
मोटी सेठाणी भीजे,
अजी मत बरसों इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे।।
सावन की रुत मतवाली,
झूले में झूंझण वाली,
अरे सह पावे ना बौछार,
या जग सेठाणी भीजे,
अजी मत बरसों इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे।।
झूंझण से खबरिया आई,
सब चलो लोग लुगाई,
ले चलो छतर हजार,
या जग सेठाणी भीजे,
अजी मत बरसों इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे।।
पानी के मैया बहाने,
इन्दर आयो दर्शन पाने,
जया मेरो धन्य हुयो परिवार,
दादी चरणा ने छूके,
अजी मत बरसों इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे।।
अजी मत बरसो इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे,
या जग सेठाणी भीजे,
म्हारी राज राणी भीजे,
अजी मत बरसो इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे।।
