श्री लक्ष्मी के 108 नाम – श्रीलक्ष्मीष्टोत्तरशतनामावलिः in Hindi/Sanskrit
ॐ प्रकृत्यै नमः ॥
ॐ विकृत्यै नमः ॥
ॐ विद्यायै नमः ॥
ॐ सर्वभूतहितप्रदायै नमः ॥
ॐ श्रद्धायै नमः ॥
ॐ विभूत्यै नमः ॥
ॐ सुरभ्यै नमः ॥
ॐ परमात्मिकायै नमः ॥
ॐ वाचे नमः ॥
ॐ पद्मालयायै नमः ॥ 10
॥ॐ पद्मायै नमः ॥
ॐ शुचये नमः ॥
ॐ स्वाहायै नमः ॥
ॐ स्वधायै नमः ॥
ॐ सुधायै नमः ॥
ॐ धन्यायै नमः ॥
ॐ हिरण्मय्यै नमः ॥
ॐ लक्ष्म्यै नमः ॥
ॐ नित्यपुष्टायै नमः ॥
ॐ विभावर्यै नमः ॥ 20 ॥
ॐ अदित्यै नमः ॥
ॐ दित्ये नमः ॥
ॐ दीपायै नमः ॥
ॐ वसुधायै नमः ॥
ॐ वसुधारिण्यै नमः ॥
ॐ कमलायै नमः ॥
ॐ कान्तायै नमः ॥
ॐ कामाक्ष्यै नमः ॥
ॐ क्ष्रीरोधसंभवाम् नमः ॥
ॐ क्रोधसंभवायै नमः ॥ 30 ॥
ॐ अनुग्रहप्रदायै नमः ॥
ॐ बुद्धये नमः ॥
ॐ अनघायै नमः ॥
ॐ हरिवल्लभायै नमः ॥
ॐ अशोकायै नमः ॥
ॐ अमृतायै नमः ॥
ॐ दीप्तायै नमः ॥
ॐ लोकशोकविनाशिन्यै नमः ॥
ॐ धर्मनिलयायै नमः ॥
ॐ करुणायै नमः ॥ 40 ॥
ॐ लोकमात्रे नमः ॥
ॐ पद्मप्रियायै नमः ॥
ॐ पद्महस्तायै नमः ॥
ॐ पद्माक्ष्यै नमः ॥
ॐ पद्मसुन्दर्यै नमः ॥
ॐ पद्मोद्भवायै नमः ॥
ॐ पद्ममुख्यै नमः ॥
ॐ पद्मनाभप्रियायै नमः ॥
ॐ रमायै नमः ॥
ॐ पद्ममालाधरायै नमः ॥ 50 ॥
ॐ देव्यै नमः ॥
ॐ पद्मिन्यै नमः ॥
ॐ पद्मगन्धिन्यै नमः ॥
ॐ पुण्यगन्धायै नमः ॥
ॐ सुप्रसन्नायै नमः ॥
ॐ प्रसादाभिमुख्यै नमः ॥
ॐ प्रभायै नमः ॥
ॐ चन्द्रवदनायै नमः ॥
ॐ चन्द्रायै नमः ॥
ॐ चन्द्रसहोदर्यै नमः ॥ 60 ॥
ॐ चतुर्भुजायै नमः ॥
ॐ चन्द्ररूपायै नमः ॥
ॐ इन्दिरायै नमः ॥
ॐ इन्दुशीतलायै नमः ॥
ॐ आह्लादजनन्यै नमः ॥
ॐ पुष्टयै नमः ॥
ॐ शिवायै नमः ॥
ॐ शिवकर्यै नमः ॥
ॐ सत्यै नमः ॥
ॐ विमलायै नमः ॥ 70 ॥
ॐ विश्वजनन्यै नमः ॥
ॐ तुष्टयै नमः ॥
ॐ दारिद्र्यनाशिन्यै नमः ॥
ॐ प्रीतिपुष्करिण्यै नमः ॥
ॐ शान्तायै नमः ॥
ॐ शुक्लमाल्यांबरायै नमः ॥
ॐ श्रियै नमः ॥
ॐ भास्कर्यै नमः ॥
ॐ बिल्वनिलयायै नमः ॥
ॐ वरारोहायै नमः ॥ 80 ॥
ॐ यशस्विन्यै नमः ॥
ॐ वसुन्धरायै नमः ॥
ॐ उदारांगायै नमः ॥
ॐ हरिण्यै नमः ॥
ॐ हेममालिन्यै नमः ॥
ॐ धनधान्यकर्ये नमः ॥
ॐ सिद्धये नमः ॥
ॐ स्त्रैणसौम्यायै नमः ॥
ॐ शुभप्रदाये नमः ॥
ॐ नृपवेश्मगतानन्दायै नमः ॥ 90 ॥
ॐ वरलक्ष्म्यै नमः ॥
ॐ वसुप्रदायै नमः ॥
ॐ शुभायै नमः ॥
ॐ हिरण्यप्राकारायै नमः ॥
ॐ समुद्रतनयायै नमः ॥
ॐ जयायै नमः ॥
ॐ मंगळा देव्यै नमः ॥
ॐ विष्णुवक्षस्स्थलस्थितायै नमः ॥
ॐ विष्णुपत्न्यै नमः ॥
ॐ प्रसन्नाक्ष्यै नमः ॥ 100 ॥
ॐ नारायणसमाश्रितायै नमः ॥
ॐ दारिद्र्यध्वंसिन्यै नमः ॥
ॐ देव्यै नमः ॥
ॐ सर्वोपद्रव वारिण्यै नमः ॥
ॐ नवदुर्गायै नमः ॥
ॐ महाकाल्यै नमः ॥
ॐ ब्रह्माविष्णुशिवात्मिकायै नमः ॥
ॐ त्रिकालज्ञानसंपन्नायै नमः ॥ 108 ॥
ॐ भुवनेश्वर्यै नमः ॥ 109 ॥
॥ इति श्रीलक्ष्मीष्टोत्तरशतनामावलिः सम्पूर्णा ॥
108 Mata Lakshmi Names in English
Om Prakrutyai Namah ॥
Om Vikrutyai Namah ॥
Om Vidyayai Namah ॥
Om Sarvabhutahitapradayai Namah ॥
Om Shraddhayai Namah ॥
Om Vibhutyai Namah ॥
Om Surabhyai Namah ॥
Om Paramatmikayai Namah ॥
Om Vache Namah ॥
Om Padmalayayai Namah ॥ 10
॥ Om Padmayai Namah ॥
Om Shuchaye Namah ॥
Om Swahayai Namah ॥
Om Swadhayai Namah ॥
Om Sudhayai Namah ॥
Om Dhanyayai Namah ॥
Om Hiranyamayyai Namah ॥
Om Lakshmyai Namah ॥
Om Nityapushtayai Namah ॥
Om Vibhavaryai Namah ॥ 20
Om Adityai Namah ॥
Om Ditye Namah ॥
Om Dipayai Namah ॥
Om Vasudhayai Namah ॥
Om Vasudharinyai Namah ॥
Om Kamalayai Namah ॥
Om Kantayai Namah ॥
Om Kamakshyai Namah ॥
Om Kshirodhasambhavam Namah ॥
Om Krodhasambhavayai Namah ॥ 30
Om Anugrahapradayai Namah ॥
Om Buddhyai Namah ॥
Om Anaghayai Namah ॥
Om Harivallabhayai Namah ॥
Om Ashokayai Namah ॥
Om Amritayai Namah ॥
Om Diptayai Namah ॥
Om Lokashokavinashinyai Namah ॥
Om Dharmanilayayai Namah ॥
Om Karunayai Namah ॥ 40
Om Lokamatre Namah ॥
Om Padmapriyayai Namah ॥
Om Padmahastayai Namah ॥
Om Padmakshyai Namah ॥
Om Padmasundaryai Namah ॥
Om Padmodbhavayai Namah ॥
Om Padmamukhyai Namah ॥
Om Padmanabhapriyayai Namah ॥
Om Ramayai Namah ॥
Om Padmamalaadharayi Namah ॥ 50
Om Devyai Namah ॥
Om Padminyai Namah ॥
Om Padmagandhinyai Namah ॥
Om Punyagandhayai Namah ॥
Om Suprasannayai Namah ॥
Om Prasadaabhimukhyai Namah ॥
Om Prabhayai Namah ॥
Om Chandravadanayai Namah ॥
Om Chandrayai Namah ॥
Om Chandrasahodaryai Namah ॥ 60
Om Chaturbhujayai Namah ॥
Om Chandrarupayai Namah ॥
Om Indirayai Namah ॥
Om Indushitalayai Namah ॥
Om Ahladajananyai Namah ॥
Om Pushtayai Namah ॥
Om Shivayai Namah ॥
Om Shivakaryai Namah ॥
Om Satyayai Namah ॥
Om Vimalayai Namah ॥ 70
Om Vishvajananyai Namah ॥
Om Tushtayai Namah ॥
Om Daridryanashinyai Namah ॥
Om Preetipushkarinyai Namah ॥
Om Shantayai Namah ॥
Om Shuklamalyambarayai Namah ॥
Om Shriyai Namah ॥
Om Bhaskaryai Namah ॥
Om Bilvanilayayai Namah ॥
Om Vararohayai Namah ॥ 80
Om Yashasvinyai Namah ॥
Om Vasundharayai Namah ॥
Om Udaraangayai Namah ॥
Om Harinyai Namah ॥
Om Hemamalinyai Namah ॥
Om Dhanadhanyakarye Namah ॥
Om Siddhyai Namah ॥
Om Strainasoumyayai Namah ॥
Om Shubhapradaye Namah ॥
Om Nripaveshmagatanandayai Namah ॥ 90
Om Varalakshmyai Namah ॥
Om Vasupradayai Namah ॥
Om Shubhayai Namah ॥
Om Hiranyaprakaryai Namah ॥
Om Samudratanayayai Namah ॥
Om Jayayai Namah ॥
Om Mangala Devyai Namah ॥
Om Vishnuvakshassthalasthitayai Namah ॥
Om Vishnupatnyai Namah ॥
Om Prasannakshyai Namah ॥ 100
Om Narayanasamashritayai Namah ॥
Om Daridryadhvansinyai Namah ॥
Om Devyai Namah ॥
Om Sarvopadrava Varinyai Namah ॥
Om Navadurgyai Namah ॥
Om Mahakalyai Namah ॥
Om Brahmavishnushivatmikayai Namah ॥
Om Trikalajnasampannayai Namah ॥ 108
Om Bhuvaneshvaryai Namah ॥ 109
॥ Iti Shri Lakshmi Ashtottara Shatanamavali Sampurna ॥
श्री लक्ष्मी के 108 नाम – श्रीलक्ष्मीष्टोत्तरशतनामावलिः PDF Download
श्री लक्ष्मी के 108 नाम – श्रीलक्ष्मीष्टोत्तरशतनामावलिः का अर्थ
श्री लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनामावली में मां लक्ष्मी के 108 नामों का वर्णन किया गया है। इन नामों के माध्यम से देवी लक्ष्मी की महिमा, गुण, और शक्तियों का वर्णन किया जाता है। प्रत्येक नाम के पीछे एक गहरा अर्थ और देवी के विशेष गुण का संकेत है। यह स्तोत्र भक्तों द्वारा नियमित रूप से धन, समृद्धि, सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए पढ़ा जाता है।
यहां इस स्तोत्र में वर्णित कुछ नामों का हिंदी में अर्थ दिया गया है:
- ॐ प्रकृत्यै नमः – प्रकृति की अधिष्ठात्री देवी को नमस्कार।
- ॐ विकृत्यै नमः – जो विकृति का भी रूप हैं, उन्हें प्रणाम।
- ॐ विद्यायै नमः – जो समस्त ज्ञान की देवी हैं, उन्हें प्रणाम।
- ॐ सर्वभूतहितप्रदायै नमः – जो सभी प्राणियों का कल्याण करती हैं, उन्हें प्रणाम।
- ॐ श्रद्धायै नमः – जो श्रद्धा का रूप हैं, उन्हें प्रणाम।
- ॐ विभूत्यै नमः – जो वैभव का स्वरूप हैं, उन्हें प्रणाम।
- ॐ सुरभ्यै नमः – जो शुभ्र और सुगंधित हैं, उन्हें प्रणाम।
- ॐ परमात्मिकायै नमः – जो परमात्मा की आत्मा हैं, उन्हें प्रणाम।
- ॐ वाचे नमः – जो वाणी का रूप हैं, उन्हें प्रणाम।
- ॐ पद्मालयायै नमः – जो कमल के आसन पर विराजमान हैं, उन्हें प्रणाम।
इस प्रकार, लक्ष्मी के प्रत्येक नाम से उनके किसी विशेष गुण या शक्ति का वर्णन किया गया है, जैसे:
- ॐ पद्मिन्यै नमः – जो कमल जैसी हैं, उन्हें प्रणाम।
- ॐ लक्ष्म्यै नमः – जो समृद्धि की देवी हैं, उन्हें प्रणाम।
- ॐ हरिवल्लभायै नमः – जो भगवान विष्णु की प्रिय हैं, उन्हें प्रणाम।
- ॐ दारिद्र्यनाशिन्यै नमः – जो गरीबी का नाश करती हैं, उन्हें प्रणाम।
- ॐ महाकाल्यै नमः – जो महान काल हैं, उन्हें प्रणाम।
श्री लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनामावली का पाठ करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में धन, सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
इस स्तोत्र का पाठ करना धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसे विशेष रूप से दीपावली, शुक्रवार, और अन्य शुभ अवसरों पर पढ़ा जाता है।
श्री लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनामावली को संपूर्णता के साथ पढ़ने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है और धन-धान्य से युक्त जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनामावली का महत्व:
- धन और समृद्धि की प्राप्ति: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे धन, समृद्धि, और वैभव का आगमन होता है। इसे विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है जो आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।
- सुख-शांति और सौभाग्य: मां लक्ष्मी को सुख और सौभाग्य की देवी माना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति का वास होता है और सभी प्रकार के क्लेश और दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं।
- नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा: मां लक्ष्मी के नामों का जाप करने से घर और जीवन में मौजूद नकारात्मक शक्तियों और ऊर्जा का नाश होता है। यह पाठ व्यक्ति को मानसिक शांति और आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है।
- भक्त की इच्छाओं की पूर्ति: माना जाता है कि जो भी भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। चाहे वह धन की प्राप्ति हो, व्यवसाय में उन्नति हो या पारिवारिक सुख-समृद्धि, सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति: लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनामावली का पाठ व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है। इससे आत्मिक शांति प्राप्त होती है और व्यक्ति का ध्यान सांसारिक सुखों से हटकर ईश्वर की भक्ति में लग जाता है।
पाठ की विधि:
- पवित्रता का ध्यान: इस स्तोत्र का पाठ करने से पहले स्वयं को शुद्ध करें और एक पवित्र स्थान पर बैठकर दीपक जलाएं।
- समय और दिन: इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से शुक्रवार के दिन किया जाता है, जो मां लक्ष्मी का दिन माना जाता है। इसके अलावा, इसे सुबह के समय या संध्या के समय करना उत्तम माना जाता है।
- अर्घ्य और प्रसाद: पाठ के बाद मां लक्ष्मी को पुष्प, धूप, और नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें। प्रसाद में विशेष रूप से कमल के फूल और मिष्ठान्न का प्रयोग करें, क्योंकि मां लक्ष्मी को कमल और मिठाई प्रिय हैं।
- ध्यान और मंत्र जाप: पाठ के दौरान मां लक्ष्मी के रूप का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें। ध्यान रखें कि इस स्तोत्र का पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें और मां लक्ष्मी के प्रति पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ पाठ करें।
- पाठ के पश्चात: पाठ के अंत में देवी लक्ष्मी से आशीर्वाद की प्रार्थना करें और अपने परिवार एवं समाज के कल्याण की कामना करें।
अन्य लाभ:
- शांति और संतोष: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के मन में शांति, संतोष, और संतुलन की भावना विकसित होती है।
- विघ्नों का नाश: जीवन में आने वाले सभी विघ्न-बाधाओं का नाश होता है और व्यक्ति के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- कर्ज से मुक्ति: इस स्तोत्र का विशेष प्रभाव यह भी माना जाता है कि इससे व्यक्ति को कर्ज से मुक्ति मिलती है और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।
लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनामावली का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि, और ऐश्वर्य का आगमन करता है। यह स्तोत्र मां लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है।