- – यह भजन भगवान कृष्ण की भक्ति और प्रेम को दर्शाता है, जिसमें कृष्ण से निवेदन है कि वे मथुरा और गोकुल न जाएं, बल्कि भक्त के मन में ही वास करें।
- – भजन में माखन चोरी और गाय चराने जैसी कृष्ण की बाल लीलाओं का उल्लेख है, जो भक्त के मन में उनकी उपस्थिति की कामना को दर्शाता है।
- – भजन में मुरली की तान सुनाने और गीता का उपदेश देने की भी प्रार्थना की गई है, जो आध्यात्मिक ज्ञान और शांति का प्रतीक है।
- – भक्त अपने मन में कृष्ण का नाम जपने और ध्यान करने की लगन व्यक्त करता है, जिससे उसकी भक्ति की गहराई स्पष्ट होती है।
- – मीरा की तरह प्रभु प्रेम जगाने और चरणों में मन को लगाने की इच्छा व्यक्त की गई है, साथ ही अवगुणों से बचने की भी प्रार्थना है।
- – भजन के लेखक श्री शिवनारायण वर्मा हैं, जिन्होंने इस भजन के माध्यम से कृष्ण भक्ति का संदेश दिया है।
कृष्णा रे कृष्णा,
मथुरा न जइयो,
गोकुल न जइयो,
मेरे मन मै रहियो,
ओ कृष्णा रे कृष्णा,
माखन चुरइयो न,
गइया न चरइयो,
मेरे मन मे रहियो,
मेरे मन मे रहियो,
मथुरा न जईयो,
गोकुल न जइयो,
मेरे मन मे रहियो।।
तर्ज – पूरब न जइयो।
मुरली की वही तान सुनादो,
गीता का उपदेश सुना दो,
अर्जुन का रथ,
हाकन न जइयो,
मथुरा न जईयो,
गोकुल न जइयो।।
आठो प्रहर तेरा,
नाम जपूँ मै,
शामो शहर तेरा,
ध्यान करूँ मै,
ऐसी लगन मेरे,
मन मे लगइयो,
मथुरा न जईयो,
गोकुल न जइयो।।
मीरा सा प्रभू प्रेम जगादो,
चरणो मे मेरे,
मन को लगादो,
अवगुण मेरे,
चित मे न लइयो,
मथुरा न जईयो,
गोकुल न जइयो।।
कृष्णा रे कृष्णा,
मथुरा न जइयो,
गोकुल न जइयो,
मेरे मन मै रहियो,
ओ कृष्णा रे कृष्णा,
माखन चुरइयो न,
गइया न चरइयो,
मेरे मन मे रहियो,
मेरे मन मे रहियो,
मथुरा न जईयो,
गोकुल न जइयो,
मेरे मन मे रहियो।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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