मुख्य बिंदु
- – कविता में मीरा की भगवान कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति और लगन का वर्णन किया गया है, जो हर जगह उनके गुण गाती हैं।
- – मीरा का जीवन भगवान के प्रेम और भक्ति में समर्पित है, और वे सांसारिक बातों से ऊपर उठकर केवल प्रभु का स्मरण करती हैं।
- – उनके हाथों की शोभा हीरे-मोतियों से नहीं, बल्कि भगवान की पूजा और भक्ति से होती है।
- – मीरा ने अपने जीवन में अनेक कष्ट सहते हुए भी भगवान का नाम जपना और भक्ति करना नहीं छोड़ा।
- – समाज और परिवार की बाधाओं के बावजूद, मीरा ने गोविन्द गोपाल के भजन गाकर अपनी भक्ति को जारी रखा।
- – उनकी भक्ति इतनी प्रबल थी कि वे विष पीकर भी अमर हो गईं और सागर में समा गईं, परंतु उनका नाम और भक्ति अमर बनी रही।

भजन के बोल
ऐसी लागी लगन,
मीरा हो गयी मगन,
वो तो गली गली,
हरी गुण गाने लगी ॥
है आँख वो जो,
श्याम का दर्शन किया करे,
है शीश जो प्रभु चरण में,
वंदन किया करे,
बेकार वो मुख है,
जो रहे व्यर्थ बातों में,
मुख है वो जो हरी नाम का,
सुमिरन किया करे ॥
हीरे मोती से नहीं,
शोभा है हाथ की,
है हाथ जो भगवान का,
पुजन किया करे,
मर कर भी अमर नाम है,
उस जीव का जग में,
प्रभु प्रेम में बलिदान जो,
जीवन किया करे ॥
ऐसी लागी लगन,
मीरा हो गयी मगन,
वो तो गली गली,
हरी गुण गाने लगी,
महलों में पली,
बन के जोगन चली,
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी,
ऐंसी लागी लगन,
मीरा हो गयी मगन। ॥
कोई रोके नहीं, कोई टोके नहीं,
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी,
बैठ संतो के संग,
रंगी मोहन के रंग,
मीरा प्रेमी प्रीतम को मनाने लगी,
वो तो गली गली,
हरी गुण गाने लगी,
ऐंसी लागी लगन,
मीरा हो गयी मगन ॥
राणा ने विष दिया, मानो अमृत पिया,
मीरा सागर में सरिता समाने लगी,
दुःख लाखों सहे, मुख से गोविन्द कहे,
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी,
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी ॥
ऐसी लागी लगन,
मीरा हो गयी मगन,
वो तो गली गली,
हरी गुण गाने लगी ॥
