- – कविता में श्याम (कृष्ण) के सुदामा के घर आने का वर्णन है, जिससे सुदामा का मान और सम्मान बढ़ता है।
- – श्याम के आगमन से सुदामा के घर का माहौल खुशहाल और प्रेमपूर्ण हो जाता है।
- – सुदामा अपनी गरीबी और सरलता को स्वीकार करते हुए प्रेम और भक्ति की महत्ता को समझाते हैं।
- – श्याम प्रेम और भक्ति को सर्वोपरि मानते हुए सांसारिक भोगों से ऊपर उठने की प्रेरणा देते हैं।
- – कविता में सादगी, भक्ति और प्रेम के माध्यम से आध्यात्मिक समृद्धि का संदेश दिया गया है।
- – गीतात्मक स्वर में श्री संजय पारीक द्वारा प्रस्तुत यह रचना भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव को उजागर करती है।
मेरा सांवरिया घर आया,
भर भर आए नैन हमारे,
लीले चढ़ मेरे श्याम पधारे,
मेरा मान बढ़ाया,
मेरा सांवरिया घर आया।।
तर्ज – मेरा परदेसी ना आया।
आज सुदामा की कुटिया में,
आया श्याम सलोना,
मुझ गरीब के घर आंगन का,
महका कोना कोना,
अंखिया झूल झूल रोई मेरी,
मुझको गले से लगाया,
मेरा सांवरिया घर आया।।
कहाँ बिठाऊ कहाँ सुलाऊ,
कुछ भी समझ नही पाऊ,
तीन लोक के मालिक को मैं,
क्या क्या भोग लगाऊ,
भोग प्रेम का मुझको लगादे,
श्याम ने है फ़रमाया,
मेरा सांवरिया घर आया।।
रुखा सुखा कर दिया अर्पण,
जो भी दिया था मुझको,
मेरा मुझमे कुछ भी नही है,
कह दिया मैंने उसको,
सुनकर मेरी भोली बाते,
सांवरिया मुस्काया,
मेरा सांवरिया घर आया।।
मुझको भाये प्रेम भगत का,
मैं हूँ भाव का भुखा,
छोड़ के छप्पन भोग अहम का,
खा लूँ रुखा सुखा,
मत कर लोक दिखावा मुझसे,
‘रोमी’ को समझाया,
मेरा सांवरिया घर आया।।
मेरा सांवरिया घर आया,
भर भर आए नैन हमारे,
लीले चढ़ मेरे श्याम पधारे,
मेरा मान बढ़ाया,
मेरा सांवरिया घर आया।।
स्वर – श्री संजय पारीक।