- – यह गीत भगवान शिव की भक्ति में लिखा गया है, जिसमें उन्हें भोले, त्रिनेत्र और त्रिशूल वाले के रूप में संबोधित किया गया है।
- – गीत में शिव जी के विभिन्न प्रतीकों का वर्णन है जैसे गले में सर्पों की माला, जटाओं से बहती गंगा, हाथ में डमरू और चंद्रमा।
- – शिव जी की भक्ति से दिल में शांति और नित नई ऊर्जा का संचार होता है, जिसे गंगा के प्रवाह से तुलना की गई है।
- – गीतकार राजेंद्र प्रसाद सोनी ने शिव जी की महिमा का गुणगान करते हुए उनके नाम का महत्व और मुक्ति का द्वार बताया है।
- – यह गीत श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत है जो शिव जी की भक्ति में लीन होकर जीवन में सुख और मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं।

मेरे भोले त्रिनेत्र वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले,
त्रिशूल वाले त्रिशूल वाले।।
तुम्हारा नाम भोले है,
गले सर्पो की माला है,
जटा से बह रही गंगा,
तू देवों में निराला है,
मेरे भोलें त्रिनेत्र वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले।।
तुम्हारे हाथ मे डमरू,
प्रभु डम डम डमाती है,
हमारे दिल में भक्ति की,
ये नित गंगा बहाती,
मेरे भोलें त्रिनेत्र वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले।।
जटोँ में चंद्रमा में धारे,
जो चम चम चमाता है,
तुम्हारा नाम शिव शम्भू,
तभी तो सबको भाता है,
मेरे भोलें त्रिनेत्र वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले।।
तेरे सुमिरन से मिलता है,
खजाना तेरी भक्ति का,
कहे ‘राजेन्द्र’ मिलता है,
तुम्ही से द्वार मुक्ति का,
मेरे भोलें त्रिनेत्र वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले।।
मेरे भोले त्रिनेत्र वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले,
त्रिशूल वाले त्रिशूल वाले।।
गीतकार/गायक – राजेंद्र प्रसाद सोनी।
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