भजन

मेरे इष्ट भी तुम्ही हो मेरे देवता तुम्ही हो – Mere Isht Bhi Tumhi Ho Mere Devta Tumhi Ho – Hinduism FAQ

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  • – कविता में रचनाकार अपने इष्ट और देवता को अपने जीवन का कर्ता मानते हैं।
  • – वे अपने जीवन में सहारा और मार्गदर्शन की प्रार्थना करते हैं।
  • – जीवन की कठिनाइयों और दुखों से बचाने की विनती की गई है।
  • – सुख, संपदा और खुशियों की कामना की गई है।
  • – कविता में प्रेम और भक्ति की भावना स्पष्ट रूप से व्यक्त हुई है।
  • – रचनाकार राम कृष्ण जी शर्मा ने यह भावपूर्ण कविता लिखी है।

मेरे इष्ट भी तुम्ही हो,
मेरे देवता तुम्ही हो,
मेरी जिंदगी के कर्ता,
मेरे ईश भी तुम्ही हो।।

तर्ज – मुझे इश्क़ है तुझी से।



इस जिंदगी को दे के,

दुनियां में मुझ को भेजा,
मैं इधर उधर ही भटका,
कोई हल नही है निकला,
मुझको सहारा दे दो,
मेरी जिंदगी के कर्ता,
मेरे ईश भी तुम्ही हो।।



मेरी जिंदगी की नैया,

अब बीच मे पड़ी है,
मुझको ज़रा उबारो,
पीछे मौत भी खड़ी है,
मेरी जिंदगी बना दो,
मेरी हर खुशी तुम्ही हो,
मेरी जिंदगी के कर्ता,
मेरे ईश भी तुम्ही हो।।



मुझको दुखो ने घेरा,

उनसे ज़रा बचा लो,
सुख संपदा को देके,
ख़ुशियों के गुल खिला दो,
मेरी हर खुशी के मालिक,
मेरे पित्र भी तुम्ही हो,
मेरी जिंदगी के कर्ता,
मेरे ईश भी तुम्ही हो।।



मेरे इष्ट भी तुम्ही हो,

मेरे देवता तुम्ही हो,
मेरी जिंदगी के कर्ता,
मेरे ईश भी तुम्ही हो।।

– प्रेषक तथा रचनाकार –
राम कृष्ण जी शर्मा।
8534972309


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