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मेरे संकट हरलो बालाजी: भजन (Mere Sankat Harlo Balaji)

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मेरे संकट हरलो बालाजी,
मेरे संकट हरलों बालाजी,
प्रभु मेहंदीपुर में धाम तेरा,
है संकट मोचन नाम तेरा,
मेरे संकट हरलों बालाजी,
मेरे संकट हरलों बालाजी ॥

अंजनी के ललना द्वार तेरे,
मेरी कबसे झोली तरस रही,
मेरा दुःख से तन मन पीड़ित है,
जरा देख ये आँखे बरस रही,
हर दर से हुई निराशा है,
बस एक तुम्ही से आशा है,
मेरे संकट हरलों बालाजी,
मेरे संकट हरलों बालाजी ॥

तुम दुष्टदलन भयहर्ता हो,
मुझपे भी दया कुछ कर देना,
तूने काज सँवारे रघुवर के,
कोई मुझे भी सुख का वर देना,
मैं रो रो आज पुकार करूँ,
यही विनती बारम्बार करूँ,
मेरे संकट हरलों बालाजी,
मेरे संकट हरलों बालाजी ॥

हनुमान गदाधर महाबली,
मेरे सोए भाग्य जगा भी दो,
मुझे घेरा हुआ तूफानों ने,
मेरी नैया पार लगा भी दो,
तेरे होते कब तक कष्ट सहुँ,
तुझसे ना कहूं तो किससे कहूं,
मेरे संकट हरलों बालाजी,
मेरे संकट हरलों बालाजी ॥

मेरे संकट हरलो बालाजी,
मेरे संकट हरलों बालाजी,
प्रभु मेहंदीपुर में धाम तेरा,
है संकट मोचन नाम तेरा,
मेरे संकट हरलों बालाजी,
मेरे संकट हरलों बालाजी ॥

मेरे संकट हरलो बालाजी: भजन का गहन विश्लेषण

यह भजन भगवान हनुमान के प्रति गहरी भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। इसमें भक्त अपने जीवन के दुखों और परेशानियों का वर्णन करते हुए, भगवान से कृपा की याचना करता है। प्रत्येक पंक्ति में भक्त की भावनाओं, आशाओं, और भगवान के गुणों का विस्तृत विवरण है। अब इस भजन की हर पंक्ति का गहराई से विश्लेषण किया गया है।


मेरे संकट हरलो बालाजी

भजन की आरंभिक पंक्ति “मेरे संकट हरलो बालाजी” में भक्त भगवान से सीधे संवाद करता है। यह पंक्ति उनके संकटमोचक स्वरूप पर विश्वास और उनकी कृपा पाने की आकांक्षा को प्रकट करती है। “बालाजी” शब्द का तात्पर्य हनुमानजी से है, जिन्हें उनकी बाल अवस्था के कारण भी श्रद्धापूर्वक संबोधित किया जाता है। भक्त अपनी पीड़ा को सीधे शब्दों में व्यक्त करते हुए भगवान से निवेदन करता है कि वे उसके जीवन से सभी कष्ट दूर करें।

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यहाँ “संकट हरलो” शब्द का गहरा अर्थ है। “संकट” केवल बाहरी समस्याओं तक सीमित नहीं है; यह आंतरिक संघर्षों, मानसिक पीड़ा और आध्यात्मिक उलझनों को भी संदर्भित करता है। भक्त की प्रार्थना यह दर्शाती है कि जब व्यक्ति संसार में हर जगह से निराश हो जाता है, तो केवल भगवान ही उसकी आशा का अंतिम स्रोत होते हैं।


प्रभु मेहंदीपुर में धाम तेरा, है संकट मोचन नाम तेरा

इस पंक्ति में भक्त हनुमानजी के मेहंदीपुर धाम की महिमा का वर्णन करता है। मेहंदीपुर बालाजी धाम भारत में एक ऐसा स्थान है, जिसे संकटमोचक हनुमानजी की उपस्थिति के लिए जाना जाता है। यहाँ “धाम” शब्द न केवल स्थान को दर्शाता है, बल्कि एक आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र का संकेत भी है।

“संकट मोचन” नाम केवल एक संबोधन नहीं है; यह भगवान के उन गुणों को इंगित करता है, जिनके कारण वे हर प्रकार के संकट को हरने वाले माने जाते हैं। भक्त यह स्वीकार करता है कि जीवन के कठिन क्षणों में, केवल भगवान हनुमान का नाम ही उसे राहत और शक्ति प्रदान कर सकता है।


अंजनी के ललना द्वार तेरे, मेरी कबसे झोली तरस रही

यहाँ “अंजनी के ललना” शब्द भक्त को भगवान के मातृस्नेह से जोड़ता है। हनुमानजी का जन्म माता अंजनी के आशीर्वाद से हुआ था, और इस संबोधन के माध्यम से भक्त भगवान को उनके स्नेहिल और कोमल रूप में पुकारता है।

“मेरी कबसे झोली तरस रही” पंक्ति में भक्त की प्रार्थना और प्रतीक्षा का भाव प्रकट होता है। यह प्रतीक्षा केवल सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए नहीं है, बल्कि भगवान की कृपा और आशीर्वाद के लिए है। “झोली” यहाँ केवल भौतिक जरूरतों का प्रतीक नहीं है; यह आत्मिक तृप्ति और मानसिक शांति का भी संकेत है।


मेरा दुःख से तन मन पीड़ित है, जरा देख ये आँखे बरस रही

इस पंक्ति में भक्त अपनी पीड़ा को बहुत ही मार्मिक तरीके से व्यक्त करता है। “तन मन पीड़ित है” के माध्यम से वह अपनी शारीरिक और मानसिक दोनों अवस्थाओं का वर्णन करता है। यह पंक्ति संकेत देती है कि जीवन की कठिनाइयों ने उसे हर स्तर पर प्रभावित किया है।

“जरा देख ये आँखे बरस रही” एक करुणा की पुकार है। भक्त भगवान से यह कहता है कि उसकी आंखों से बहते आंसू उसकी आंतरिक पीड़ा का प्रमाण हैं। यहाँ आंसुओं का प्रवाह भगवान की ओर पूर्ण समर्पण और अपने हालात से गहरी निराशा को दर्शाता है।


हर दर से हुई निराशा है, बस एक तुम्ही से आशा है

इस पंक्ति में भक्त के विश्वास और आत्मसमर्पण का चरम बिंदु दिखाई देता है। “हर दर से हुई निराशा है” से पता चलता है कि भक्त ने अपने कष्टों के समाधान के लिए संसार के हर संभव साधन का प्रयास किया, लेकिन उसे कहीं भी राहत नहीं मिली।

“बस एक तुम्ही से आशा है” भगवान पर अटूट विश्वास को प्रकट करता है। भक्त को यकीन है कि हनुमानजी ही उसकी सभी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। यह भावना भक्त की संपूर्ण आस्था और अन्य सभी माध्यमों की विफलता को दर्शाती है।

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तुम दुष्टदलन भयहर्ता हो, मुझपे भी दया कुछ कर देना

यह पंक्ति हनुमानजी के वीर स्वरूप को उजागर करती है। “दुष्टदलन” का अर्थ है दुष्टों का नाश करने वाला। रामायण में हनुमानजी के ऐसे अनेक प्रसंग हैं, जहाँ उन्होंने राक्षसों का नाश किया और अपने भक्तों को भय से मुक्त किया।

“मुझपे भी दया कुछ कर देना” में भक्त भगवान से विनम्रता से यह प्रार्थना करता है कि वे अपनी करुणा उसके ऊपर भी बरसाएं। यह पंक्ति यह दर्शाती है कि भक्त को विश्वास है कि भगवान न केवल महान कार्य कर सकते हैं, बल्कि साधारण व्यक्ति की समस्याओं को भी सुलझा सकते हैं।



तूने काज सँवारे रघुवर के, कोई मुझे भी सुख का वर देना

इस पंक्ति में भक्त भगवान हनुमान के रामभक्ति स्वरूप को याद करता है। “तूने काज सँवारे रघुवर के” का अर्थ है कि हनुमानजी ने भगवान राम के जीवन के सबसे कठिन कार्यों को संपन्न किया, चाहे वह सीता माता की खोज हो, रामसेतु का निर्माण हो, या युद्ध में रामचंद्रजी की सहायता करना।

भक्त यह तर्क प्रस्तुत करता है कि यदि हनुमानजी ने भगवान राम के लिए इतने बड़े कार्य कर दिखाए, तो वे उसकी छोटी-सी समस्या को भी हल कर सकते हैं। “कोई मुझे भी सुख का वर देना” का अर्थ है कि भक्त भगवान से सुख का आशीर्वाद मांग रहा है। यह सुख केवल भौतिक नहीं है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतोष का भी प्रतीक है।


मैं रो रो आज पुकार करूँ, यही विनती बारम्बार करूँ

यहाँ भक्त अपने दर्द और पीड़ा को भगवान के सामने पूरी ईमानदारी से प्रस्तुत करता है। “मैं रो रो आज पुकार करूँ” पंक्ति में भक्त अपनी आंतरिक वेदना और निराशा को व्यक्त करता है। यह रोना केवल बाहरी प्रदर्शन नहीं है, बल्कि एक गहरी आंतरिक व्यथा का परिणाम है।

“यही विनती बारम्बार करूँ” से पता चलता है कि भक्त बार-बार भगवान को पुकारने में झिझक नहीं करता, क्योंकि उसे विश्वास है कि भगवान उसकी पुकार को सुनेंगे। यह पंक्ति भगवान के प्रति अटूट विश्वास और निरंतर प्रार्थना के महत्व को दर्शाती है।


हनुमान गदाधर महाबली, मेरे सोए भाग्य जगा भी दो

इस पंक्ति में “गदाधर” और “महाबली” जैसे शब्दों का उपयोग हनुमानजी के शक्ति और वीरता के प्रतीक के रूप में किया गया है। गदा (मेस) उनके शक्तिशाली और शत्रुनाशक रूप का प्रतिनिधित्व करती है, जबकि “महाबली” उनका असीम बल और साहस दर्शाता है।

“मेरे सोए भाग्य जगा भी दो” से भक्त अपनी स्थिति को बदलने की प्रार्थना करता है। सोया हुआ भाग्य का अर्थ है वह स्थिति जहाँ प्रयासों के बावजूद जीवन में कोई प्रगति या सफलता नहीं मिल रही। भक्त भगवान से आग्रह करता है कि वे उसके भाग्य को पुनः सक्रिय करें और उसे सफल बनाएं।

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मुझे घेरा हुआ तूफानों ने, मेरी नैया पार लगा भी दो

इस पंक्ति में जीवन की समस्याओं को तूफानों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। “मुझे घेरा हुआ तूफानों ने” से पता चलता है कि भक्त अपने जीवन में असंख्य बाधाओं और संकटों का सामना कर रहा है। ये तूफान न केवल भौतिक कठिनाइयों को संदर्भित करते हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संघर्षों का भी प्रतीक हैं।

“मेरी नैया पार लगा भी दो” का अर्थ है कि भक्त भगवान से अपने जीवन रूपी नैया (नाव) को तूफानों से पार लगाने की प्रार्थना करता है। यह पंक्ति यह दर्शाती है कि भगवान ही जीवन के संकटों में मार्गदर्शन कर सकते हैं और भक्त को सुरक्षा और शांति प्रदान कर सकते हैं।


तेरे होते कब तक कष्ट सहुँ, तुझसे ना कहूं तो किससे कहूं

इस पंक्ति में भक्त भगवान से सीधा संवाद करता है। “तेरे होते कब तक कष्ट सहुँ” का अर्थ है कि जब भगवान हनुमान जैसा शक्तिशाली और करुणामय सहारा उपलब्ध है, तो भक्त को और अधिक कष्ट क्यों सहने चाहिए?

“तुझसे ना कहूं तो किससे कहूं” इस बात का प्रतीक है कि भक्त का भगवान पर पूर्ण विश्वास है और उसे इस बात का एहसास है कि केवल भगवान ही उसकी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। यह भावना बताती है कि भक्त ने सभी सांसारिक सहारे छोड़कर केवल भगवान को अपना अंतिम सहारा मान लिया है।


भजन का समापन: मेरे संकट हरलो बालाजी

भजन का समापन बार-बार “मेरे संकट हरलो बालाजी” के साथ होता है। यह दोहराव भक्त की गहन भावनाओं और भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण को दर्शाता है।

भक्त भगवान हनुमान के मेहंदीपुर धाम का उल्लेख करते हुए उनके “संकट मोचन” नाम की महिमा गाता है। यह भजन का केंद्रीय भाव है कि भगवान हनुमान ही सभी संकटों को हरने वाले और जीवन में शांति और संतोष लाने वाले हैं।

यह समर्पण और भगवान की महिमा को गाने का भाव भक्त को यह विश्वास दिलाता है कि उसकी प्रार्थना सुनी जाएगी और उसका जीवन सुख-शांति से भर जाएगा।


समग्र संदेश

यह भजन न केवल भगवान हनुमान के प्रति श्रद्धा व्यक्त करता है, बल्कि यह सिखाता है कि जब जीवन में हर दिशा से निराशा मिले, तो भगवान पर भरोसा और विश्वास हमें सभी कठिनाइयों से पार ले जा सकता है। भजन की प्रत्येक पंक्ति यह संदेश देती है कि भगवान हनुमान की कृपा असीम है और उनकी शरण में आकर भक्त अपने जीवन की सभी समस्याओं का समाधान पा सकता है।

इस गहन विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि यह भजन न केवल भक्ति का एक साधन है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की प्रेरणा भी प्रदान करता है।

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