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- – यह गीत भगवान कृष्ण के प्रति गहरे प्रेम और भक्ति को व्यक्त करता है।
- – गीत में गोकुल में कृष्ण के साथ जीवन बिताने, मुरली की मधुर धुन सुनने और गाय चराने की इच्छा व्यक्त की गई है।
- – भक्ति में लीन होकर कृष्ण के साये में रहने और उनके प्रेम की छाया पाने की कामना की गई है।
- – माखन खिलाने और कृष्ण के चरणों में ठिकाना बनाने की तमन्ना गीत का मुख्य भाव है।
- – गीत का मुखड़ा बार-बार दोहराया गया है, जो भक्ति और प्रेम की गहराई को दर्शाता है।
- – गायक सुधीर संघा ने इस गीत को अपनी आवाज़ दी है, जो भावनाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करता है।

मेरे सांवरे जब भी लूं मैं जनम,
तुम्हारी ही भक्ति में,
तुम्हारी ही भक्ति में,
लगे मेरा मन,
मेरे सांवरे जब भी लूं मैं जनम।।
तर्ज – बहुत प्यार करते है।
गोकुल में जाके करूंगा बसेरा,
मुरली मधुर सुन होगा सवेरा,
गैया चराऊंगा,
गैया चराऊंगा मैं तेरे संग,
मेरे सांवरे जब भी लूं मैं जनम।।
सदा संग रहना बन के तू साया,
मिले बस मुझे तेरे प्रेम की छाया,
माखन खिलाना,
माखन खिलाना मुझे अपने संग,
मेरे सांवरे जब भी लूं मैं जनम।।
तुम्हारे चरणों में रहेगा ठिकाना,
तेरी शरण में ही जीवन बिताना,
इतनी तमन्ना है,
इतनी तमन्ना है सुनलो किशन,
मेरे सांवरे जब भी लूं मैं जनम।।
मेरे सांवरे जब भी लूं मैं जनम,
तुम्हारी ही भक्ति में,
तुम्हारी ही भक्ति में,
लगे मेरा मन,
मेरे सांवरे जब भी लूं मैं जनम।।
Singer – Sudhir Sangha
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
