- – यह गीत भगवान कृष्ण के अद्भुत और अनोखे खेलों की प्रशंसा करता है।
- – भगवान की महिमा और उनकी इच्छा से संसार चलता है, और उनकी महिमा को समझना कठिन है।
- – भक्तों का विश्वास भगवान में बढ़ता रहता है, और वे कठिनाइयों के बावजूद मुस्कुराते हैं।
- – भगवान संकटों में सहारा देते हैं और उनकी सहायता से पीड़ा में भी राहत मिलती है।
- – गीत में भक्त का भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और भरोसा दर्शाया गया है।
- – स्वर नंदू जी शर्मा का है, जो भावपूर्ण तरीके से इस भक्ति गीत को प्रस्तुत करते हैं।

मेरे साँवरे के खेल तो निराले है,
निराले है जी निराले है,
निराले है जी निराले है,
अपने भक्तों के सांवरा रूखाले है,
मेरे सांवरे के खेल तो निराले है।।
फरमान जग में इन्ही का चला है,
पत्ता भी इनकी रजा से हिला है,
इनकी महिमा से हमतो अनजाने है,
इनकी महिमा से हमतो अनजाने है,
मेरे सांवरे के खेल तो निराले है।।
विश्वास भगवन सदा बढ़ता जाए,
कष्टों को सहकर भी हम मुस्कुराए,
हारो के आप तो सहारे है,
हारो के आप तो सहारे है,
मेरे सांवरे के खेल तो निराले है।।
पीड़ा ह्रदय की तुम्हे ही सुनाऊँ,
तुमसा मददगार कहो कहाँ पाऊं,
‘नंदू’ तो तेरे ही हवाले है,
‘नंदू’ तो तेरे ही हवाले है,
मेरे सांवरे के खेल तो निराले है।।
मेरे साँवरे के खेल तो निराले है,
निराले है जी निराले है,
निराले है जी निराले है,
अपने भक्तों के सांवरा रूखाले है,
मेरे सांवरे के खेल तो निराले है।।
स्वर – नंदू जी शर्मा।
