- – यह गीत “म्हारा नाथजी दर्शन देवे ओ” सिरेधाम और जालौर नगरी की महिमा का वर्णन करता है।
- – राठौंड कुल के जामो, माँ सिणगारी बाई जी और पिताजी रावतसिंहजी का उल्लेख है, जो भागली नगरी से संबंधित हैं।
- – गुरु के आगमन और भक्तों की भक्ति भावनाओं का चित्रण किया गया है, विशेषकर पहाड़ा वाली नगरी में।
- – गंगानाथजी और शान्तिनाथजी की सेवा और भजन गाने की परंपरा का वर्णन है।
- – शान्तिनाथजी टाईगर फोर्स के भजन और शंकर भजन सुनाने की बात की गई है, जो भक्तों के मन को भाता है।
- – गीत में नाथजी के दर्शन की कामना और सिरेधाम की पावनता को बार-बार दोहराया गया है।

म्हारा नाथजी दर्शन देवे ओ,
सिरेधाम रे माये ने,
म्हारा नाथजी दर्शन देवे ओ,
सिरेधाम रे माये ने,
सिरेधाम रे माये ने,
जालौर नगरी माये ने,
म्हारा नाथजी दर्शन देवेओ,
सिरेधाम रे माये ने।।
राठौंड कुल मे जामो पायों,
माँ सिणगारी बाई जी,
पिताजी हैं रावतसिंहजी,
भागली नगरी माये ने,
पिताजी हैं रावतसिंहजी,
भागली नगरी माये ने,
म्हारा नाथजी दर्शन देवेओ,
सिरेधाम रे माये ने।।
सिरेधाम में आया जी गुरु,
मिलिया केशरनाखजी,
भक्तिं मे मनडो लागो जी,
पहाडा वाली नगरी में ,
म्हारा नाथजी दर्शन देवेओ,
सिरेधाम रे माये ने।।
बत्तीस ऐ तो करीया सोमासा,
भक्तों रे मन भाया जी,
गंगानाथजी सेवा कीनी,
शान्तिनाथजी रे चरणा में,
म्हारा नाथजी दर्शन देवेओ,
सिरेधाम रे माये ने।।
शान्तिनाथजी टाईगर फोर्स,
भजन आपरा गावे जी,
शंकर भजन सुणावे ओ,
थोरे चरणा माये ने,
दलपतसिंहजी मेडावाला,
चरण आपरी आवे जी,
म्हारा नाथजी दर्शन देवेओ,
सिरेधाम रे माये ने।।
म्हारा नाथजी दर्शन देवे ओ,
सिरेधाम रे माये ने,
म्हारा नाथजी दर्शन देवे ओ,
सिरेधाम रे माये ने,
सिरेधाम रे माये ने,
जालौर नगरी माये ने,
म्हारा नाथजी दर्शन देवेओ,
सिरेधाम रे माये ने।।
प्रेषक – मदनसिंह जोरावत राठौंड़ बागरा
