- – यह गीत “म्हारे कीर्तन में सरकार बाबा” भगवान दीक्षित जी द्वारा गाया गया है, जिसमें बाबा के आगमन की विनती की गई है।
- – गीत में बाबा के सुंदर भवन की सजावट और फूलों से सिंगार करने का वर्णन है।
- – बाबा के चरणों में ज्योत जलाने, सिर पर छतर चढ़ाने और चवर डुलाने जैसे भक्ति भाव व्यक्त किए गए हैं।
- – भोग में खीर, चूरमा, खीचड़ो और छप्पन भोग का उल्लेख है, जो बाबा के लिए अर्पित किए जाते हैं।
- – गीत में बाबा को भाग्यविधाता और दाता मानकर उनकी कृपा के लिए लाख-लाख धन्यवाद किया गया है।
- – कुल मिलाकर यह गीत बाबा के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति को दर्शाता है, जिसमें उनकी उपस्थिति की प्रार्थना की गई है।

म्हारे कीर्तन में सरकार बाबा,
आ जाओ एक बार,
म्हारे कीर्तन में,
आ जाओ एक बार बाबा,
कलियुग के अवतार,
म्हारें कीर्तन में सरकार बाबा,
आ जाओ एक बार,
म्हारे कीर्तन में।।
बड़े चाव ते श्याम धणी,
थारा सुन्दर भवन सजाया जी,
तरह तरह के फुला ते तेरो,
तरह तरह के फुला ते तेरो,
खूब करा सिंगार,
म्हारें कीर्तन में,
म्हारें कीर्तन में सरकार बाबा,
आ जाओ एक बार,
म्हारे कीर्तन में।।
थारे चरणा में ज्योत जलाऊँ,
सिर पे छतर चढाऊँ जी,
इतर लगाऊ चवर डूलाऊ,
इतर लगाऊ चवर डूलाऊ,
लिले के असवार,
म्हारें कीर्तन में,
म्हारें कीर्तन में सरकार बाबा,
आ जाओ एक बार,
म्हारे कीर्तन में।।
खीर चूरमा और खीचड़ो,
का मैं भोग लगाऊ जी,
छप्पन भोग और सवामणि के,
छप्पन भोग और सवामणि के,
तने भरे भंडार,
म्हारें कीर्तन में,
म्हारें कीर्तन में सरकार बाबा,
आ जाओ एक बार,
म्हारे कीर्तन में।।
हे दाता म्हारे भाग्यविधाता,
लख लख शुकर करूँ तेरा,
‘दीक्षित’ के दिन बदल दिए तने,
‘दीक्षित’ के दिन बदल दिए तने,
मेरे लखदातार,
म्हारें कीर्तन में,
म्हारें कीर्तन में सरकार बाबा,
आ जाओ एक बार,
म्हारे कीर्तन में।।
म्हारे कीर्तन में सरकार बाबा,
आ जाओ एक बार,
म्हारे कीर्तन में,
आ जाओ एक बार बाबा,
कलियुग के अवतार,
म्हारें कीर्तन में सरकार बाबा,
आ जाओ एक बार,
म्हारे कीर्तन में।।
स्वर – भगवान दीक्षित जी।
