- – यह गीत होली के त्योहार की मस्ती और रंगों की खुशबू को दर्शाता है, जिसमें राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी प्रमुख है।
- – गीत में बरसाने की राधा रानी और कृष्ण के साथ ग्वालों की टोली के संग होली खेलने का वर्णन है।
- – “कैसो रंग बरसायो, म्हारा साँवरिया” पंक्ति प्रेम और रंगों की गहराई को व्यक्त करती है।
- – गीत में प्रेम के रंगों से अंखियों का कजरा बहने और दर्पण में खुद को न दिखने का भाव व्यक्त किया गया है।
- – पारंपरिक लोक संगीत और राजस्थान की संस्कृति की झलक गीत के माध्यम से मिलती है।

म्हारी चुनर भीगी भीगी,
जाए रे श्याम,
कैसो रंग बरसायो,
म्हारा साँवरिया।।
तर्ज – ओ म्हारी घूमर छे नखराली।
फागुण माही मस्ती छाई,
ढप झांजरिया बाजे,
ग्वाल बाल के संग में आकर,
राधा रानी नाचे,
वाकी पायल रुणझुण रुणझुण,
बोले रे श्याम,
कैसो रंग बरसायो,
म्हारा साँवरिया।।
बरसाने की राधा रानी,
नंद के कृष्ण कन्हैया,
ग्वालों की टोली के संग में,
खेले फाग कन्हैया,
कोई दूजा ना रंग चढ़े,
तन पे रे आज,
कैसो रंग बरसायो,
म्हारा साँवरिया।।
प्रेम का रिश्ता तेरे संग में,
होली खूब खिलाए,
तूने ऐसा रंग चढ़ाया,
दर्पण नजर ना आए,
म्हारी अंखिया रो कजरो,
बह बह जाए रे श्याम,
कैसो रंग बरसायो,
म्हारा साँवरिया।।
म्हारी चुनर भीगी भीगी,
जाए रे श्याम,
कैसो रंग बरसायो,
म्हारा साँवरिया।।
Singer : Manish Tiwari
https://www.youtube.com/watch?v=JZiGG03BqBw
