- – गीत में एक व्यक्ति अपनी डूबती हुई नैया (जीवन) को पार लगाने की प्रार्थना करता है, जिसमें “मंडफिया वाला सेठ सांवरा” उसकी मदद करने वाला संरक्षक है।
- – सांवरा को एक ऐसा साथी बताया गया है जो ऊंच-नीच नहीं देखता, सभी भक्तों को समान रूप से स्वीकार करता है और जीवन की कठिनाइयों में सहारा देता है।
- – व्यक्ति अपनी टूटी झोपड़ी को सांवरिया के द्वारा महल में बदलने की इच्छा प्रकट करता है, जो उसकी जीवन स्थिति को सुधारने वाला है।
- – सांवरिया को गाड़ी का ड्राइवर और रखवाला बताया गया है, जो जीवन के रास्ते पर सही दिशा दिखाता है और व्यक्ति को थकान से बचाता है।
- – गीत में प्रेम और भक्ति की भावना स्पष्ट है, जिसमें सांवरिया के दर्शन की तीव्र इच्छा और आंखों में काजल लगाने की कल्पना की गई है।
- – यह गीत सामाजिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टिकोण से जीवन में सहारे और मार्गदर्शन की महत्ता को दर्शाता है।

मारी डूबतड़ी नैया ने,
पार लगाओ जी,
मंडफिया वाला सेठ सांवरा,
म्हारी अटक्यौडी गाड़ी ने,
मंडफिया वाला सेठ सांवरा
मारा सांवरिया मंडफिया में आऊ दौड़ी,
अंखियां प्यासी दर्शन की।।
ऊंच नीच ना देखे सावरों,
सब भक्ता रे जावे,
मारी टूटी झोपड़िया सांवरा,
पल में महल बनावे,
सांवरिया मारे घरा भी,
देवू थाने नूत,
जिमाऊ थाने खीचड़लो।।
सब लियाया गाड़ी घोड़ा,
मैं चाल चला थाक्या यो,
मारे लिए मारा सेठ सांवरा,
तू ही है रखवालो,
है मारी गाड़ी को ड्राइवर,
मारो श्याम,
फिर काई बात को घाटो।।
थाने काजलियों बना लू,
मारे नैना में रमा लूं,
श्याम पलका में बंद कर राखुली।।
मारी डूबतड़ी नैया ने,
पार लगाओ जी,
मंडफिया वाला सेठ सांवरा,
म्हारी अटक्यौडी गाड़ी ने,
मंडफिया वाला सेठ सांवरा
मारा सांवरिया मंडफिया में आऊ दौड़ी,
अंखियां प्यासी दर्शन की।।
गायक – श्री प्रेम शंकर जी जाट।
प्रेषक – विनोद वैष्णव।
9414240116
