- – यह गीत “म्हारो सांवरो धणी रे” भक्ति और श्रद्धा की भावना को दर्शाता है, जिसमें भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और संतुष्टि व्यक्त की गई है।
- – गीत में नरसी भगत, नानी बाई, मीरा बाई, नामदेव, धन्ना भगत, और दास सुदामा जैसे भक्तों का उल्लेख है, जिन्होंने अपने जीवन में भक्ति और सेवा को महत्व दिया।
- – गीत में कहा गया है कि भौतिक संपत्ति या दौलत की कोई कमी नहीं है, क्योंकि भगवान ही सबका मालिक और संरक्षक हैं।
- – “म्हारो सांवरो धणी” भगवान के प्रति गहरा प्रेम और विश्वास व्यक्त करता है, जो जीवन की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- – यह गीत राजस्थान की लोक संस्कृति और भक्ति परंपरा का सुंदर उदाहरण है, जिसे देव शर्मा आमा ने गाया है और भुपसा चुंडावत ने लिखा है।

म्हारो सांवरो धणी रे,
म्हारे काई की कमी,
मंडफिया माई बेठो बाबो,
सबको धणी,
मारो सांवरो धणी रे,
मारे काई की कमी।।
नरसी भगत रो यो ही रखवालो,
नरसी भगत रो यो ही रखवालो,
नानी बाई रो यो बिरो मतवालों,
नानी बाई रो यो बिरो मतवालों,
इण रे कारण मीरा बाई जोगण बणी,
इण रे कारण मीरा बाई जोगण बणी,
मारो सांवरो धणी रे,
मारे काई की कमी।।
नामदेव को यो छपरो छायो,
नामदेव को यो छपरो छायो,
धन्ना भगत रो खेत निपजायो,
धन्ना भगत रो खेत निपजायो,
दास सुदामा ने बणायो,
दास सुदामा ने बणायो,
तिन लोक रो धणी,
मारो सांवरो धणी रे,
मारे काई की कमी।।
कोई मांगे धन दौलत रोकड़ा हज़ारा,
कोई मांगे धन दौलत रोकड़ा हज़ारा,
कोई मांगे गाड़ी घोड़ा भरिया भंडारा,
कोई मांगे गाड़ी घोड़ा भरिया भंडारा,
‘भुपसा’ थारी मांगे चाकरी,
‘भुपसा’ थारी मांगे चाकरी,
घड़ी दो घड़ी,
मारो सांवरो धणी रे,
मारे काई की कमी।।
म्हारो सांवरो धणी रे,
म्हारे काई की कमी,
मंडफिया माई बेठो बाबो,
सबको धणी,
मारो सांवरो धणी रे,
मारे काई की कमी।।
गायक – देव शर्मा आमा।
8290376657
लेखक – भुपसा चुंडावत।
