- – कविता में खाटू धाम की विशेषता और उसकी पवित्रता का वर्णन है, जहाँ बाबा के प्रेम और आशीर्वाद का अनुभव होता है।
- – खाटू की गलियाँ, माटी की खुशबू, और बाबा के कुण्ड का निर्मल पानी मन को शांति और सुकून प्रदान करता है।
- – खाटू धाम में भक्तों का प्रेम और परिवार जैसा माहौल मिलता है, जो आत्मा को जोड़ता है।
- – प्रेम और भक्ति की भावना इतनी प्रबल है कि बार-बार खाटू की ओर खींचाव महसूस होता है।
- – कवि अपनी भावनाओं को अश्रुओं और बेचैनी के माध्यम से व्यक्त करता है, जो बाबा के प्रति गहरे प्रेम को दर्शाता है।
- – गीत में खाटू धाम की आध्यात्मिक महत्ता और भक्तों के बीच प्रेम का अद्भुत बंधन उजागर होता है।

मिलने को जब जब भी,
जी ललचाता है,
प्रेम तुम्हारा हमको,
खाटू खींच लाता है।।
तर्ज – तुझको ना देखूं तो।
खाटू के गाँव की,
वो तंग गलियाँ,
बाबा के धाम की,
फूलो की बगियां,
खाटू की माटी की,
खुशबू सुहानी,
बाबा के कुण्ड का,
वो निर्मल पानी,
मन का मेल नहाने से,
सब धूल जाता है,
प्रेम तुम्हारा हमको,
खाटू खींच लाता है।।
खाटू में जाते,
हम तो अकेले,
मिलते वहाँ है,
खुशीयो के मेले,
बाबा के प्रेमियों का,
ऐसा परिवार है,
भक्तो में प्रेम का,
बटता उपहार है,
रह रह के खयालों में,
जब ये आता है,
प्रेम तुम्हारा हमको,
खाटू खींच लाता है।।
ऐसा क्या जादू,
तुमने चलाया,
‘मोहित’ अपना,
तुमने बनाया,
आँखों से अश्क का,
बहता सैलाब है,
तुम्हारी याद में,
दिल ये बेताब है,
ऐसा क्यों होता है,
समझ ना आता है,
प्रेम तुम्हारा हमको,
खाटू खींच लाता है।।
मिलने को जब जब भी,
जी ललचाता है,
प्रेम तुम्हारा हमको,
खाटू खींच लाता है।।
Singer : Mayank Agrawal
