- – यह गीत भक्ति और समर्पण की भावना को दर्शाता है, जिसमें भक्त खाटू श्याम जी के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करता है।
- – गीत में भक्त कहता है कि उसे जीने का शौक नहीं है, वह केवल खाटू आने और अपने दिल की बात सुनाने के लिए जीता है।
- – लाखों-करोड़ों लोग खाटू के दर से खुशियाँ पाते हैं, और भक्त खुद को बाबा का दीवाना मानता है।
- – भक्त का सपना है कि वह हमेशा श्याम के साथ रहे, और बिना उनके जीवन अधूरा है।
- – गीत में यह भी बताया गया है कि जो खाटू की शरण में आता है, वह कभी हारता नहीं और उसकी रक्षा होती है।
- – समापन में भक्त पुनः अपने समर्पण और भक्ति की भावना को दोहराता है, जो खाटू श्याम जी के चरणों में सिर झुकाने को समर्पित है।

मुझे जीने का शौक नहीं,
जीता हूँ खाटू आने को,
हाल दिल का सुनाने को,
हाल दिल का सुनाने को,
तुझे अपना बनाने को,
मुझे जीने का शौक नही,
जीता हूँ खाटू आने को।।
तर्ज – मुझे पीने का शौक नहीं।
लाखों ने करोड़ो ने,
खुशियां दर से तेरे पाई,
बाबा तेरा दीवाना हूँ,
तुझे याद मेरी ना आई,
क्या तूने भुला डाला,
क्या तूने भुला डाला,
अपने इस दीवाने को,
मुझे जीने का शौक नही,
जीता हूँ खाटू आने को।।
मैं भी दर पे तेरे आऊंगा,
श्याम मेरा है ये सपना,
दूर तुझसे ना जाऊंगा,
इक तू ही तो है अपना,
रह ना पाऊं बिना तेरे,
मतलब के ज़माने में,
मुझे जीने का शौक नही,
जीता हूँ खाटू आने को।।
जिसको मिल जाए तेरी शरण,
हारे ना वो हराये से,
जिसपे रहमत तेरी सांवरे,
डरे ना वो डराए से,
‘जय कौशिक’ भी आएगा,
‘जय कौशिक’ भी आयेगा,
चरणों में सर झुकाने को,
मुझे जीने का शौक नही,
जीता हूँ खाटू आने को।।
मुझे जीने का शौक नहीं,
जीता हूँ खाटू आने को,
हाल दिल का सुनाने को,
हाल दिल का सुनाने को,
तुझे अपना बनाने को,
मुझे जीने का शौक नही,
जीता हूँ खाटू आने को।।
Singer – Amit Sharma (Kota)
