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- – गीत में आत्मा की आंतरिक लड़ाई और पापी मन को रोकने की भावना व्यक्त की गई है।
- – राधे राधे कहने की इच्छा और प्रभु के नाम का स्मरण जीवन में शांति और सुखदाई बताया गया है।
- – जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों के बीच भी प्रभु के प्रति वादे को निभाने की प्रेरणा दी गई है।
- – प्रभु के नाम से जीवन की नैया को पार लगाने और संकटों से उबरने की आशा व्यक्त की गई है।
- – मन को संयमित कर प्रभु के नाम का जप करने का आग्रह बार-बार दोहराया गया है।

मुझे राधे राधे कहने दे,
ओ पापी मन रुक जा जरा,
रुक जा जरा रे मन रुक जा जरा,
मुझे राधे राधें कहने दे,
ओ पापी मन रुक जा जरा।।
गर्भ में प्रभु से जो वादा किया है,
अब तक मैंने ना पूरा किया है,
मुझे वादा निभाने दे,
ओ पापी मन रुक जा जरा,
मुझे राधे राधें कहने दे,
ओ पापी मन रुक जा जरा।।
जीवन नैया डगमग डोले,
बिच भवर में खाए हिचकोले,
मुझे पतवार लेने दे,
ओ पापी मन रुक जा जरा,
मुझे राधे राधें कहने दे,
ओ पापी मन रुक जा जरा।।
नाम प्रभु का है सुखदाई,
लेकर तर गया सदन कसाई,
मुझे पार उतरने दे,
ओ पापी मन रुक जा जरा,
मुझे राधे राधें कहने दे,
ओ पापी मन रुक जा जरा।।
मुझे राधे राधे कहने दे,
ओ पापी मन रुक जा जरा,
रुक जा जरा रे मन रुक जा जरा,
मुझे राधे राधें कहने दे,
ओ पापी मन रुक जा जरा।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
