- – यह गीत श्याम (भगवान कृष्ण) की भक्ति और उनके सहारे पर आधारित है, जो जीवन में आश्रय और सहारा प्रदान करते हैं।
- – गीत में बताया गया है कि कठिनाइयों और मजबूरियों के बावजूद, श्याम के सहारे से ही जीवन का गुजारा संभव हुआ।
- – श्याम के दरबार में आकर व्यक्ति के कर्म सुधर जाते हैं और बुराई से अच्छाई की ओर परिवर्तन होता है।
- – श्याम की कृपा से नालायक व्यक्ति भी प्रेम और करुणा का अनुभव करता है, जो स्वार्थी दुनिया में अनमोल है।
- – गीत में बार-बार यह भाव व्यक्त किया गया है कि श्याम का सहारा न होता तो जीवन में कोई गुजारा नहीं होता।

मुझे श्याम तेरा,
सहारा ना होता,
सहारा ना होता,
तो दुनिया में मेरा,
गुजारा ना होता।।
तर्ज – सौ साल पहले।
जीने को जीते थे,
मगर मर मर कर जीते थे,
मज़बूरी में दिन रात,
मेरे रो रो कर बीते थे,
रो रो के तुझको जो,
पुकारा ना होता,
पुकारा ना होता,
तो दुनिया में मेरा,
गुजारा ना होता।
मुझें श्याम तेरा,
सहारा ना होता,
सहारा ना होता,
तो दुनिया में मेरा,
गुजारा ना होता।।
दरबार में आकर के,
श्याम मेरा वक्त गुजर जाता है,
सुनते है तेरे दर पे,
बुरा से बुरा सुधर जाता है,
कर्मो को मेरे तुमने,
सुधारा ना होता,
सुधारा ना होता,
तो दुनिया में मेरा,
गुजारा ना होता।।
मुझें श्याम तेरा,
सहारा ना होता,
सहारा ना होता,
तो दुनिया में मेरा,
गुजारा ना होता।।
नालायक पर भी श्याम,
प्रभु किरपा बरसातें हो,
स्वारथ की दुनिया में,
तुम्ही बस प्रेम दिखाते हो,
‘संजू’ को तुमने जो,
निहारा ना होता,
निहारा ना होता,
तो दुनिया में मेरा,
गुजारा ना होता।।
मुझे श्याम तेरा,
सहारा ना होता,
सहारा ना होता,
तो दुनिया में मेरा,
गुजारा ना होता।।
