- – यह गीत भगवान गणेश की महिमा और उनके दिव्य स्वरूप का वर्णन करता है।
- – भगवान गणेश को “माँ गौरा के लाल” और “देव ये कमाल” के रूप में पूजा गया है।
- – गीत में गणेश जी के विभिन्न रूपों जैसे गजमुख, एकदंत, चारभुजा, मूषक के असवार आदि का उल्लेख है।
- – गणेश जी को सुखकर्ता, दुःख हरता, रिद्धि-सिद्धि, बल और बुद्धि के प्रदाता के रूप में दर्शाया गया है।
- – यह भक्ति गीत भगवान गणेश की कृपा और उनके द्वारा भवसागर से उद्धार की शक्ति को भी दर्शाता है।
- – गीत का तर्ज “मुकुट सिर मोर का” है और स्वर राकेश काला का है।

मुकुट सिर स्वर्ण का,
मेरे गजानंद का,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है।।
तर्ज – मुकुट सिर मोर का।
भक्तो का गजमुख इनका,
रूप सुहाया है,
सब देवों में इनका,
गुणगान गाया है,
मूषक के असवार है,
ये सांचे अवतार है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है।।
एकदंत दयावंता,
चारभुजा धारी है,
माथे तिलक सुहाए,
बप्पा दातारी है,
प्रथम तेरा नाम है,
ये सांचे भगवान है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है।।
रिद्धि सिद्धि बल और बुद्धि,
के ये प्रदाता है,
सुखकर्ता दुःख के हर्ता,
धन धान दाता है,
जो ह्रदय में धार ले,
तो भव से ये तार दे,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है।।
मुकुट सिर स्वर्ण का,
मेरे गजानंद का,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है।।
स्वर – राकेश काला।
