- – जीवन में न तो संसार का त्याग करें और न ही अपने घर के कर्तव्यों को छोड़ें।
- – सभी के साथ मिलजुल कर प्रभु का सुमिरण (नाम जप) करते रहें।
- – प्रभु का सुमिरण मन को शांति और जीवन को सफलता प्रदान करता है।
- – हर सांस को अंतिम समझकर गुरु के नाम का जप निरंतर करते रहना चाहिए।
- – भजन और ध्यान के माध्यम से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन सफल बनता है।
- – यह भजन श्री शिवनारायण वर्मा द्वारा रचित है, जो आध्यात्मिक जीवन का मार्ग दर्शाता है।
ना जग का त्याग करो,
और न घर के काम तजो,
सभी के साथ में,
सुमिरन प्रभू का करते रहो।।
तर्ज – ना मुंह छुपा के जिओ।
न जाने पाए तेरी,
एक स्वाँस भी खाली,
यह वो दवा है कि,
जिसने भी इसे खाली,
असर ये पल मे करे,
इसका जरा यकीँ तो करो,
न जग का त्याग करो,
और न घर के काम तजो,
सभी के साथ में,
सुमिरन प्रभू का करते रहो।।
भजन हरि का करो और,
लगाओ ध्यान मे मन,
प्रभू कृपा से तेरा,
सफल हो जाए जीवन,
हर एक स्वाँस पे अपनी,
निगाह जमा के रखो,
न जग का त्याग करो,
और न घर के काम तजो,
सभी के साथ में,
सुमिरन प्रभू का करते रहो।।
न जाने कोन सा पल,
हो आखिरी अपना,
इसलिए हरपल मनवा,
नाम गुरू का जपना,
हर एक स्वाँस को अपनी,
तुम आखिरी समझो,
न जग का त्याग करो,
और न घर के काम तजो,
सभी के साथ में,
सुमिरन प्रभू का करते रहो।।
ना जग का त्याग करो,
और न घर के काम तजो,
सभी के साथ में,
सुमिरन प्रभू का करते रहो।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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