- – गीत में प्रेमी अपने प्रेमी (सांवरे) के प्रति गहरी भक्ति और प्रेम व्यक्त करता है।
- – वह सांवरे की कृपा और दर्शन को जीवन की सबसे बड़ी प्राप्ति मानता है।
- – प्रेमी अपने जन्म और जीवन को सांवरे की भक्ति से जोड़कर धन्यवाद करता है।
- – वह कहता है कि हार और जीत का अर्थ तब होता है जब उसे सांवरे की प्राप्ति हो।
- – गीत में सांवरे के भक्तों में भी सांवरे का ही प्रतिबिंब देखने की अनुभूति व्यक्त की गई है।
- – अंत में प्रेमी अपने दिल की हार स्वीकार कर सांवरे के साथ एकत्व की कामना करता है।

नैना दर्शन के है बावरे,
कैसे हारूँ बता सांवरे,
तेरी मुझ पर कृपा है सदा से,
तेरी मुझ पर कृपा है सदा से,
अब बसा ले तेरे गाँव रे,
कैसे हारूँ बता सांवरे,
नेना दर्शन के हैं बावरे,
कैसे हारूँ बता सांवरे।।
तर्ज – ज़िन्दगी की ना टूटे।
तूने घर बार ऐसा दिया,
करता हूँ मैं तेरा शुक्रिया,
अपने प्रेमी भगत के ही घर,
तूने मुझको जनम दे दिया,
हाँ जनम दे दिया,
जहाँ तेरा भजन भाव रे,
जहाँ तेरा भजन भाव रे,
कैसे हारूँ बता सांवरे,
नेना दर्शन के हैं बावरे,
कैसे हारूँ बता सांवरे।।
तेरे भक्तो से जब भी मिलूं,
कैसा लगता कहूं क्या तुझे,
श्याममय लागे सारा जहाँ,
उनमे दीखता है तू ही मुझे,
हाँ तू ही मुझे,
सब में तेरा ही दर्शाव रे,
सब में तेरा ही दर्शाव रे,
कैसे हारूँ बता सांवरे,
नेना दर्शन के हैं बावरे,
कैसे हारूँ बता सांवरे।।
हारने से ही मिलता जो तू,
नहीं करता मैं इसके गीले,
हार कैसी है और क्या है जीत,
ये तमन्ना है तू ही मिले,
हाँ तू ही मिले,
हारा ‘अरविन्द’ ये दिल सांवरे,
हारा ‘अरविन्द’ ये दिल सांवरे,
अब गले से लगा सांवरे,
नेना दर्शन के हैं बावरे,
कैसे हारूँ बता सांवरे।।
नैना दर्शन के है बावरे,
कैसे हारूँ बता सांवरे,
तेरी मुझ पर कृपा है सदा से,
तेरी मुझ पर कृपा है सदा से,
अब बसा ले तेरे गाँव रे,
कैसे हारूँ बता सांवरे,
नेना दर्शन के हैं बावरे,
कैसे हारूँ बता सांवरे।।
Singer – Arvind Sahal
