- – यह गीत प्रभु के प्रति भक्ति और समर्पण की अभिव्यक्ति है, जिसमें प्रभु से उनके आभूषण और वस्त्र उतारने की विनती की गई है।
- – गीत में प्रभु के माथे का मुकुट, कानों के कुंडल, कांधे की गदा, नौलख हार, मुरली, और वस्त्र उतारने का वर्णन है, जो भक्ति भाव को दर्शाता है।
- – “अब पोड़ों म्हारा अंतर्यामी जी” का अर्थ है कि अब प्रभु हमारे अंतरात्मा में विराजमान हैं।
- – गीत में प्रभु को “साँवल सेठ” और “नितेश महाराज” के रूप में संबोधित किया गया है, जो उनकी महिमा को दर्शाता है।
- – गायक: गोपाल शर्मा, और यह गीत संजय सिंह चौहान द्वारा अपलोड किया गया है।
- – यह गीत भक्ति संगीत की शैली में है और गोकुल के चरनों में गोकुल के प्रति श्रद्धा प्रकट करता है।

नैना में नींद गुर आई जी,
अब पोड़ों म्हारा अंतर्यामी जी।।
प्रभु माथा रो मुकुट उतारो,
प्रभु माथा रो मुकुट उतारो,
काना रा कुंडल खोलो जी,
अब पोड़ों म्हारा अंतर्यामी जी।।
प्रभु कांधा सू गदा उतारो,
प्रभु कांधा सू गदा उतारो,
ऊंगली सु चक्र हटाओ जी,
अब पोड़ों म्हारा अंतर्यामी जी।bd।
संवरा नौलख हार उतारो,
संवरा नौलख हार उतारो,
मुरली ने अधर हटाओ जी,
अब पोड़ों म्हारा अंतर्यामी जी।।
प्रभु तन का वस्त्र उतारो,
प्रभु तन का वस्त्र उतारो,
मखमल री सेजा फोडो जी,
अब पोड़ों म्हारा अंतर्यामी जी।bd।
प्रभु साँवल सेठ कहाओ,
प्रभु साँवल सेठ कहाओ,
भक्ता रा कारज सारो जी,
अब पोड़ों म्हारा अंतर्यामी जी।।
प्रभु नितेश महाराज चरना में,
प्रभु नितेश महाराज चरना में,
गोकुल ने चरना में राखो जी,
अब पोड़ों म्हारा अंतर्यामी जी।bd।
नैना में नींद गुर आई जी,
अब पोड़ों म्हारा अंतर्यामी जी।।
Singer – Gokul Sharma
Upload – Sanjay Singh Chouhan
9009804779
