- – यह गीत जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों को दर्शाता है, जहाँ “नैया” जीवन का प्रतीक है जो डोल रही है और पार लगाने की आवश्यकता है।
- – गीत में “माझी बनकर मोहन” से आशय है कि मोहन (भगवान कृष्ण) मार्गदर्शक और सहारा बनकर जीवन को सही दिशा दें।
- – भावनात्मक रूप से गीत में आशा, धैर्य और विश्वास की बात की गई है कि कठिन समय में भी सहारा मिलेगा।
- – गीत में जीवन के अंधकार और परेशानियों का उल्लेख है, लेकिन साथ ही ईश्वर की दया और उद्धार की प्रार्थना भी की गई है।
- – यह गीत आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से इंसान को जीवन के संघर्षों में सहारा देने का संदेश देता है।
नैया मेरी डोल रही,
भव पार लगा जाओ,
माझी बनकर मोहन,
एक बार तो आ जाओ,
नैया मेरी डोल रहीं,
भव पार लगा जाओ।।
ये नांव पुरानी है,
और गहरा पानी है,
मुझको तो होश नहीं,
छायी नादानी है,
दिल डूब रहा मेरा,
धीरज तो बंधा जाओ,
माझी बनकर मोहन,
एक बार तो आ जाओ,
नैया मेरी डोल रहीं,
भव पार लगा जाओ।।
गर्दिश में सितारे है,
छाए अंधियारे है,
पतवार मेरी छूटी,
सब छूटे सहारे है,
सोई मेरी किस्मत है,
आकर के जगा जाओ,
माझी बनकर मोहन,
एक बार तो आ जाओ,
नैया मेरी डोल रहीं,
भव पार लगा जाओ।।
बड़ी दूर किनारा है,
तेरा ही सहारा है,
पापी से पापी को,
प्रभु तुमने उबारा है,
गणिका जैसी ठोकर,
हमको भी लगा जाओ,
माझी बनकर मोहन,
एक बार तो आ जाओ,
नैया मेरी डोल रहीं,
भव पार लगा जाओ।।
दिनों पे दया करना,
आदत है तेरी दाता,
फिर मातृदत्त को ही,
क्यों मोहन तरसाता,
हे श्याम सुन्दर सुनलो,
जैसे है निभा जाओ,
माझी बनकर मोहन,
एक बार तो आ जाओ,
नैया मेरी डोल रहीं,
भव पार लगा जाओ।।
नैया मेरी डोल रही,
भव पार लगा जाओ,
माझी बनकर मोहन,
एक बार तो आ जाओ,
नैया मेरी डोल रहीं,
भव पार लगा जाओ।।
Singer – Mamta Sharma